Khatauli By Poll
इंडिया न्यूज, मुजफ्फरनगर (Uttar Pradesh) । खतौली विधानसभा चुनाव से पहले रालोद-सपा गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय लोक दल में लंबे समय से काम करने के बाद टिकट ना मिलने के कारण कई दिन से मायूस आखिर राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक चौधरी ने राष्ट्रीय लोकदल को अलविदा कह दिया और लखनऊ में जाकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के समक्ष भाजपा में शामिल हो गए। अभिषेक चौधरी को भाजपा में शामिल कराने के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने उनका स्वागत किया।
जयंत चौधरी ने टिकट देने का दिया था आश्वासन
दरअसल अभिषेक चौधरी लंबे समय से राष्ट्रीय लोक दल में काम कर रहे थे, जो खतौली से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने पहले उन्हें 2017 में चुनाव लड़ाने का आश्वासन दिया था। मगर उस समय भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया। उसके बाद फिर 2022 में गठबंधन धर्म के चलते अभिषेक चौधरी का टिकट कट गया और समाजवादी पार्टी के राज्यपाल सैनिको राष्ट्रीय लोक दल के सिंबल पर खतौली से चुनाव लड़ा दिया। मगर हाल ही में खतौली से दूसरी बार विधायक जीते विक्रम सैनी को 2 साल की सजा हो जाने के बाद सीट रिक्त हुई तो अभिषेक चौधरी को एक बार फिर चुनाव लड़ने की उम्मीद जगी।
तीन बड़ी रैलियों के लिए जुटाई थी भीड़
13 नवंबर को राष्ट्रीय लोक दल अध्यक्ष जयंत चौधरी की खतौली विधानसभा क्षेत्र में तीन बड़ी रैलियां आयोजित की गई। जिसमें पीपलहेड़ा गांव में गुर्जर और भाजपा बाहुल्य होने के कारण अभिषेक चौधरी ने भारी भीड़ जुटाई। जिसमें रैली में आए सभी लोगों की आस्था अभिषेक चौधरी को चुनाव लड़ने की थी। मगर जयंत चौधरी ने 13 नवंबर की शाम को ही 2022 में में लोनी से चुनाव हारे बाहुबली मदन भैया के नाम की घोषणा कर दी। अभिषेक चौधरी को मायूसी हाथ लगी। तभी से अभिषेक चौधरी ने टिकट ना मिलने से नाराज अपना नया ठिकाना ढूंढना शुरू किया। मंगलवार को दोपहर सर्व समाज की एक मीटिंग भी बुलाई गई, जिसमें जयंत चौधरी से बात की गई। मगर कोई सफलता हाथ नहीं लगी। देर शाम अभिषेक चौधरी ने लखनऊ पहुंचकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के समक्ष भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
खतौली में बाहरी प्रत्याशी का विरोध
अब देखना होगा कि खतौली उपचुनाव में कितना बदलाव होगा? क्योंकि इससे पहले भी बाहरी प्रत्याशी का विरोध हो चुका है। यही कारण रहा कि प्रशांत गुर्जर को मीरापुर में हार का मुंह देखना पड़ा। वहीं करतार भडाना खतौली से चुनाव लड़ चुके, मगर बाहरी प्रत्याशी के जीतने के बाद भी विधानसभा के लोग अपने आप को अनाथ ही समझते रहे। दूसरा उदाहरण मीरापुर विधानसभा सीट का है, जहां भाजपा ने अवतार भड़ाना को टिकट दिया था और जीत गए थे उसके बाद अवतार भड़ाना ने मुजफ्फरनगर की और कभी मुड़कर नहीं देखा तो शायद अब लगता है कि लोग बाहरी प्रत्याशी को पसंद नहीं कर रहे। अब देखना होगा कि मदन भैया की किस्मत रंग लाएगी या पूर्व विधायक विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी विधानसभा पहुंचेगी। खतौली विधानसभा सीट पर 5 दिसंबर को मतदान होना है। 8 दिसंबर को परिणाम आएंगे।
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