Kushinagar: जर्जर भवनों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए शासन ने ऐसे भवनों का चिन्हीकरण कर उनके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का आदेश भले ही जारी कर दिया हो। लेकिन कुशीनगर में गन्ना किसानों की सुविधा के लिए बनाई गई पडरौना किसान सेवा समिति पर इस आदेश का कोई असर होता नही दिख रहा है। जो अधिकारियों के ढुल – मुल रवैये को दर्शा रहा है। पडरौना नगर में स्थित किसान सेवा समिति का भवन बेहद जर्ज़र अवस्था में पहुंच गया है। छत से लेकर दीवार का प्लास्टर तक कब गिर जायेगा इसका कोई भरोसा नहीं है।
समिति में काम करने वाले कर्मचारी तो जान जोखिम में डालकर काम करते ही हैं साथ ही गन्ने की पर्ची और खाद लेने समिति पर आने वाले किसान भी हमेशा दहशत में रहते हैं । हलांकि सरकार ने इस भवन की जीर्णोद्वार के लिये 7 साल पूर्व ही 35 लाख का बजट जारी कर दिया था लेकिन अफसरशाही के खेल में उलझे इस भवन का अब तक मरमत नही हो सका है जिसके कारण अब यह और जर्जर हो गया है |
पुराने दौर में किसान सहकारी समितियां गुलजार रहा करतीं थीं क्योकि खेती किसानी से जुड़े किसानों का लगभग सारा काम इन्ही समितियों से होता था। गन्ने की पर्ची से लगायत गन्ने का भुगतान भी इन्ही समिति कार्यलय से ही जारी हुआ करता था। कुशीनगर में सबसे पुरानी पडरौना सहकारी समिति की स्थापना 1964 में हुई थी। लेकिन समय के साथ समितियाँ सूनी होती गईं समतियों के सूना पड़ने के साथ ही भवन भी जर्ज़र होता गया । आज हालत ये है की किसान सेवा समिति कब ढह जाएगी कोई नहीं जानता। कार्यालय में काम करने से लेकर अपने काम के लिए समिति पर आने वाले किसान डर के साये में अपना काम निबटाते है।
जर्ज़र हो चुके किसान सेवा समिति के नये भवन के लिए जनप्रतिनिधियों ने काफ़ी प्रयास किया। जिसके बाद सात साल पहले 35 लाख रूपये का बजट पास हो गया। बजट आने के बाद भी कमीशन के खेल के कारण टेंडर नहीं हो पा रहा है। जिस निर्माण संस्था के पास बजट आता हैं वहां से भारी कमीशन मांगा जा रहा है इसके कारण भवन निर्माण पिछले सात सालों से ठंढे बस्ते में पड़ा हुआ है। समिति के पूर्व चेयरमैन से लेकर कर्मचारी और किसान परेशान हैं लेकिन विभागीय अधिकारी कमीशन के कारण भवन निर्माण को हरी झंडी नहीं दे रहे हैं।
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