*** || जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक-:28-03-2022,सोमवार
एकादशी, कृष्ण पक्ष
चैत्र
*** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
आज का दिन आपके लिए मध्यम रूप से फलदायक रहने वाला है। नौकरी से जुड़े जातकों को अपने कुछ गुप्त शत्रुओं से सावधान रहना होगा। कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति निर्मित होगी। प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। व्यापार में लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। शत्रु पस्त होंगे। विवाद में न पड़ें। अपेक्षाकृत कार्य समय पर होंगे। प्रसन्नता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यस्तता रहेगी। प्रमाद न करें। आपका अपना कोई करीबी आपको धोखा दे सकता है। आपकी अपने मित्र अथवा किसी परिजन से मुलाकात होगी, जिसके कारण आपके कुछ पुराने गिले-शिकवे भी दूर होंगे। ससुराल पक्ष से साले व बहनोई से आपको लेनदेन करने से बचना होगा, नहीं तो वह आपके रिश्तो में दरार पैदा करवा सकता है। आपको व्यापार में मन मुताबिक लाभ मिलने के कारण आप प्रसन्न रहेंगे, जिसके कारण आप अपने ऊपर कुछ धन भी व्यय करेंगे।
तिथि—— एकादशी 16:14:30 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र——— श्रवण 12:23:15
योग———- सिद्ध 17:37:31
करण——– बालव 16:14:30
करण——- कौलव 27:24:20
वार——————— सोमवार
माह————————–चैत्र
चन्द्र राशि —– मकर 23:53:27
चन्द्र राशि ———————-कुम्भ
सूर्य राशि——————- मीन
रितु———————–वसन्त
आयन ——————–उत्तरायण
संवत्सर——————– प्लव
संवत्सर (उत्तर)———— आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)——2078
शाका संवत————– 1943
वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:15:40
सूर्यास्त————– 18:33:13
दिन काल———– 12:17:32
रात्री काल———– 11:41:20
चंद्रास्त————– 14:44:05
चंद्रोदय————– 28:33:45
लग्न—-मीन 13°10′ , 343°10′
सूर्य नक्षत्र——– उत्तराभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र————— श्रवण
नक्षत्र पाया—————-ताम्र
*** पद, चरण ***
खे—- श्रवण 06:39:16
खो—- श्रवण 12:23:15
गा—- धनिष्ठा 18:07:57
गी—- धनिष्ठा 23:53:27
गु—- धनिष्ठा 29:39:49
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** ***
सूर्य=मीन 13:12 ‘उ o भा o , 3 झ
चन्द्र =मकर 19°23 ‘श्रवण , 3 खे
बुध = मीन 07 ° 07’ उo भा o ‘ 2 थ
शुक्र=मकर 26°05, धनिष्ठा ‘ 2 गी
मंगल=मकर 20°30 ‘ श्रवण ‘ 4 खो
गुरु=कुम्भ 25°30 ‘ पू o भा o, 2 सो
शनि=मकर 27°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 00°50’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 00°50 विशाखा , 4 तो
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 07:48 – 09:20 अशुभ
यम घंटा 10:52 – 12:24 अशुभ
गुली काल 13:57 – 15:29 अशुभ
अभिजित 11:59 -12:49 शुभ
दूर मुहूर्त 12:49 – 13:38 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:17 – 16:06 अशुभ
पंचक 23:53 – अहोरात्र अशुभ
चोघडिया, दिन
अमृत 06:16 – 07:48 शुभ
काल 07:48 – 09:20 अशुभ
शुभ 09:20 – 10:52 शुभ
रोग 10:52 – 12:24 अशुभ
उद्वेग 12:24 – 13:57 अशुभ
चर 13:57 – 15:29 शुभ
लाभ 15:29 – 17:01 शुभ
अमृत 17:01 – 18:33 शुभ
चोघडिया, रात
चर 18:33 – 20:01 शुभ
रोग 20:01 – 21:29 अशुभ
काल 21:29 – 22:56 अशुभ
लाभ 22:56 – 24:24* शुभ
उद्वेग 24:24* – 25:52* अशुभ
शुभ 25:52* – 27:19* शुभ
अमृत 27:19* – 28:47* शुभ
चर 28:47* – 30:15* शुभ
होरा, दिन
चन्द्र 06:16 – 07:17
शनि 07:17 – 08:19
बृहस्पति 08:19 – 09:20
मंगल 09:20 – 10:22
सूर्य 10:22 – 11:23
शुक्र 11:23 – 12:24
बुध 12:24 – 13:26
चन्द्र 13:26 – 14:27
शनि 14:27 – 15:29
बृहस्पति 15:29 – 16:30
मंगल 16:30 – 17:32
सूर्य 17:32 – 18:33
होरा, रात
शुक्र 18:33 – 19:32
बुध 19:32 – 20:30
चन्द्र 20:30 – 21:29
शनि 21:29 – 22:27
बृहस्पति 22:27 – 23:25
मंगल 23:25 – 24:24
सूर्य 24:24* – 25:22
शुक्र 25:22* – 26:21
बुध 26:21* – 27:19
चन्द्र 27:19* – 28:18
शनि 28:18* – 29:16
बृहस्पति 29:16* – 30:15
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मीन > 05:42 से 07:12 तक
मेष > 07:12 से 09:56 तक
वृषभ > 09:56 से 11:36 तक
मिथुन > 11:36 से 12:56 तक
कर्क > 12:56 से 15:16 तक
सिंह > 15:16 से 16:21 तक
कन्या > 16:21 से 07:33 तक
तुला > 07:33 से 10:04 तक
वृश्चिक > 10:04 से 01:16 तक
धनु > 01:16 से 02:20 तक
मकर > 02:20 से 04:10 तक
कुम्भ > 04:10 से 05:42 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 +11+ 2 + 1 = 29 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
ग्रह मुख आहुति ज्ञान
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहू ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल
26 + 26 + 5 = 57 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
*** विशेष जानकारी ***
*पापमोचिनी एकादशी (सर्वेषां)
* सर्वार्थसिद्धि योग 12:33 तक
*** शुभ विचार ***
भ्रमन्संपूज्यते राजा भ्रमन्संपूज्यते द्विजः ।
भ्रमन्संपूज्यते योगी स्त्री भ्रमन्ती विनश्यति ।।
।।चा o नी o।।
राजा, ब्राह्मण और तपस्वी योगी जब दुसरे देश जाते है, तो आदर पाते है. लेकिन औरत यदि भटक जाती है तो बर्बाद हो जाती है.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: गुणत्रयविभागयोग अo-14
तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम् ।,
प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत ॥,
हे अर्जुन! सब देहाभिमानियों को मोहित करने वाले तमोगुण को तो अज्ञान से उत्पन्न जान।, वह इस जीवात्मा को प्रमाद (इंद्रियों और अंतःकरण की व्यर्थ चेष्टाओं का नाम ‘प्रमाद’ है), आलस्य (कर्तव्य कर्म में अप्रवृत्तिरूप निरुद्यमता का नाम ‘आलस्य’ है) और निद्रा द्वारा बाँधता है॥,8॥,
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*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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