इंडिया न्यूज, झांसी:
Life Imprisonment for Took Away Girl: झांसी में 10 साल पहले अनुसूचित जाति कीनाबालिग लड़की को भगाकर ले जाने वाले दोषी को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है, जबकि रेप के आरोप में बरी कर दिया है। एससीएसटी एक्ट की विशेष न्यायाधीश इंदु द्विवेदी ने कहा है कि दोनों के बीच सहमति से संबंध बने थे, इसलिए जबरन रेप का अपराध सिद्ध नहीं होता। इसी के साथ दोषी पर 50 हजार रुपए का जुमार्ना भी लगाया गया है और जुमार्ना नहीं देने पर दोषी की संपत्ति से वसूल करने के आदेश दिए गए हैं।
झांसी के बगरौनी निवासी प्रेमनारायण पाल पुत्र मोतीलाल 28 मार्च 2011 को 16 की लड़की को घर से भगाकर ले गया था। लड़की के ताऊ और मामा ने दोनों को जाते हुए देख लिया था। जिसके बाद पिता ने उल्दन थाने में केस दर्ज कराया था। लड़का और नाबालिग लड़की 20 दिन लखनऊ में रुके, उसके बाद बाराबंकी व छतरपुर गए। वहां शादी करने की बात पर दोनों के बीच संबंध बने। करीब 2 महीने के बाद पुलिस ने लड़की को बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। लड़की ने प्रेमनारायण के खिलाफ बयान दिए थे।
कोर्ट ने कहा है कि लड़की रेप के अर्थ को जानती थी और दोषी के शादी करने की बात कहने पर वह विरोध बंद कर देती थी। यानी शादी का आश्वासन मिलने पर वह इसे गलत नहीं मान रही थी। इसके अलावा उसने दोषी के साथ कई पब्लिक प्लेस व सार्वजनिक वाहनों में यात्रा की। ऐसे भी मौके थे जब वह अकेली रही, लेकिन उसने किसी को कुछ भी बताने का प्रयास नहीं किया।
उसके पास पर्याप्त अवसर थे वह अपनी बात दूसरों को बताती, लेकिन उसने किसी को कुछ नहीं बताया। इन तथ्यों से साबित होता है कि पीड़िता की सहमती से संबंध बने थे। इसलिए रेप का अपराध सिद्ध नहीं होता। दोषी को 3 धाराओं में सजा सुनाई गई है। इसमें एससीएसटी एक्ट की धारा 3 (2) 5 में आजीवन कारावास की सजा हुई है।