इंडिया न्यूज, Gorakhpur: mango gaurjeet : बात दशहरी की हो तो इसके स्वाद से सभी परिचित हैं। पर पूर्वाचल का आम गौरजीत भी लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है। इस आम की खुशबू और स्वाद अनूठा है। दशहरी से अलग यह चूस कर खाने वाला आम है। खाने के बाद हल्की डकार के साथ देर तक आपको आम खाने का आभास कराता है। गौरजीत का एक अलग ही फ्लेवर है। दशहरी व चौसा काटकर खाए जाने वाले आम हैं, जबकि गौरजीत चूस कर खाया जाने वाला फल है।
गौरजीत पूरब का सबसे पहले तैयार होने वाला आम है। जून के प्रथम सप्ताह से यह डालियों पर ही पकने लगता है। बागवान इसी लिए पत्तियों के साथ इसकी बिक्री करता है। आकर्षक पीले व हल्के लाल रंग का गोल आकार के चलते यह दूर से ही लोगों को भाता है। आम के ठेले व दुकान में इसका एक अलग ही जलवा देखने को मिलता है। पास जाने पर इसकी सुगंध लोगों को अपना दीवाना बना लेती है। स्वाद व मिठास की तो बात ही खास है।
गौरजीत बेहद कम समय में तैयार होने वाला पौधा है। इसका पौधा पहले ही साल से फल देने लगता है, लेकिन उस समय डालियां कमजोर होती हैं। इस लिए फल लेने के लिए कम से कम तीन वर्ष का समय रखा जाता है। तीन वर्ष बाद इसमें करीब 30 से 40 किलो फल आने लगते हैं।
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