Mathura Ravana is Worshipped
इंडिया न्यूज, मथुरा (Uttar Pradesh)। आज विजयादशमी का पर्व है। जगह-जगह रामलीला और रावण दहन के लिए लोग रामलीला मैदानों में जुट रहे हैं। लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो रावण को अपना पूर्वज मानता है। उनका दावा है कि दानव राजा जीवन भर सिद्धांतों और मूल्यों के लिए खड़ा रहा।
मथुरा के 52 वर्षीय वकील ओमवीर सारस्वत दशहरा के दिन यमुना तट पर शिव मंदिर में पिछले 20 वर्षों से रावण के लिए पूजा का आयोजन कर रहे हैं। बुधवार को भी उन्होंने पूजा अर्चना की। यहां लंकेश भक्त मंडल है। इस मंडल से जुड़े लोग विजयादशमी पर रावण की पूजा करते हैं। रावण की भूमिका निभा रहा कलाकार भगवान शंकर की पूजा करता है। लंकेश मंडल लोगों से रावण पुतला दहन न करने की अपील भी करता है।
रावण वंशी लंकेश भक्त मंडल (सारस्वत समाज) के लोगों का कहना है कि रावण त्रिकालदर्शी थे, चारों वेदों के ज्ञाता थे। परम शिव भक्त थे। उन्होंने जीवन भर सीता माता को हाथ नहीं लगाया। जो व्यक्ति एक बार मर जाता है। उसको बार-बार क्यों मारा जाता है? क्यों बार बार रावण के पुतले का दहन किया जाता है?
जो हमारे समाज के साथ दुर्व्यवहार की भावना से हमारे कुल के राजा का बार-बार दहन किया जाता है, जो सरासर गलत है। भगवान रावण की पूजा की जानी चाहिए ना कि हर वर्ष उनका दहन किया जाना उचित है। रावण हमारे कुल के राजा थे और परम ज्ञानी थे। आज हमने हर वर्ष की भांति उनकी पूजा अर्चना की है।
ओमवीर कहते हैं कि हम, ज्यादातर सारस्वत ब्राह्मण, हर साल मथुरा में दशहरा पर शिव मंदिर में इकट्ठा होते हैं और रावण की पूजा करते हैं, जिसे भगवान राम भी मानते थे। भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को मरते हुए रावण का उपदेश सुनने के लिए भेजा। यह रावण था, जो भगवान राम की सहायता के लिए आया था, जिसे ‘राम-सेतु’ (लंका का पुल) बनाने से पहले ‘पूजा’ करने के लिए ‘आचार्य’ (ब्राह्मण) की आवश्यकता थी और रावण आया। भगवान राम द्वारा भी उनका सम्मान किया जाता था, क्योंकि लंका शासक भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त थे।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए, राम भगवान हैं और रावण ‘महान’ (महान) हैं और हमारे पास भगवान राम के खिलाफ कुछ भी नहीं है। क्योंकि हम भक्त हिंदू हैं। सारस्वत और गैर-सरस्वत ब्राह्मणों से जुड़े हुए हैं जो हम जो मानते हैं उसमें विश्वास करते हैं।
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