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Mulayam Singh Yadav: भीगी आंखों के साथ अखिलेश ने निभाया बेटे का फर्ज, बहू डिंपल इतना शांत कभी नहीं दिखीं

Mulayam Singh Yadav

इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh) । (चंद्रकांत शुक्ला) समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से उनका पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है। उनके परिवार के सदस्यों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। चाहें फिर अखिलेश यादव हों या उनकी बहू डिंपल यादव। उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव और भाई राम गोपाल यादव तो फूट-फूटकर रोए। हर कोई अपने चहेता नेताजी के जाने के गम में गमगीन है।

पिता की चिता के पास अखिलेश यादव शांत खड़े थे। वे गुमसुम थे।

अखिलेश ने निभाया बेटे का फर्ज

पूर्व सांसद, पूर्व मुख्यमंत्री, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नेता विरोधी दल होने से पहले अखिलेश कुछ और भी हैं। आज उन्होंने अपने उसी फर्ज को पूरा किया। भीगी हुईं आंखों के साथ। जिस पिता के साए में अखिलेश ने आधा जीवन जी लिया। उस पिता के जाने पर गम के समंदर में डूब जाना लाजमी था। आंखों से आंसुओं का बादलों की तरह बरसना लाजमी था। 3 बच्चों के पिता अखिलेश यादव को आज से पहले इतना भावुक, इतना शांत इतना अधीर शायद पहले कभी किसी ने ना देखा होगा।

खामोश डिंपल का चेहरा उदास था

रुंधा हुआ गला, डबडबाई आंखें और बदहवास चेहरा बता रहा था कि अखिलेश ने कुछ ऐसा खो दिया है जो उनके लिए अनमोल था। फूट फूट कर रोते धर्मेन्द्र के आंसू गवाही दे रहे थे कि सियासत की जो पाठशाला उन्हें घर के आंगन में ही मिली। उसका सबसे बड़ा मास्टर अंतिम सफर पर जा रहा है। खामोश मायूस डिंपल यादव का उदास चेहरा बता रहा था कि ससुर नहीं बल्कि एक ऐसे पिता को खो दिया है, जिसका आशीर्वाद उन्हें सौभाग्य से अभिसिंचित करता था।

बहू डिंपल यादव ने न सिर्फ अपना एक अभिभावक खोया बल्कि राजनीति का गुरु भी खो दिया।

सियासत में डिंपल को अखिलेश से ज्यादा अपने ससुर का साथ मिला। मार्गदर्शन मिला। वो आज उनका साथ छोड़ गए हैं। शिवपाल यादव ने जो खोया उसकी भरपाई हो ही नहीं सकती। शिवपाल के लिए मुलायम सिर्फ भाई नहीं बल्कि पिता की तरह थे। ऐसे पिता जिसकी उंगली पकड़कर शिवपाल आगे बढ़े और जब जब मुलायम पर कोई संकट आया तो शिवपाल चट्टान की तरह साथ खड़े रहे। धूप घाम गर्मी बारिश सर्दी सावन भादव अषाढ़। महीना कोई भी रहा हो, साल कोई भी रहा हो। वक्त सत्ता का रहा हो या तन्हाई विपक्ष की रही हो शिवपाल हमेशा साथ रहे। और उनके लिए हमेशा नेताजी जिन्दाबाद रहे। मुलायम के नाम की मशाल को शिवपाल हमेशा थामे रहे और समाजवाद के झंडे को सीने से लगाकर उन्होंने नेता जी के संदेश को ही आदेश और अध्यादेश माना।

आज वो मुलायम सिंह हर किसी को रोता हुआ छोड़कर। हर मोह को त्याग कर इस संसार को छोड़ गए। समाजवादी युग प्रवर्तक, लोहिया जेपी जनेश्वर के सबसे योग्य शिष्य मुलायम सिंह यादव अब महज यादों में ही रहेंगे।

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Bhola Nath Sharma

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