Muzaffarnagar violence
इंडिया न्यूज, मुजफ्फरनगर (Uttar Pradesh): 2013 में हुई हिंसा और भड़काऊ बयान देने का मामला अभी तक कोर्ट में स्थगित था। मगर अब एक बार फिर इस मामले की फाइल खुल गई है। इस मामले पर अब जेक सुनवाई शुरू हो गई है। इस मामले में शामिल 31 लोगों को सत्र अदालत में पेश होने का आदेश दे दिया गया है।
20 दिसंबर को होगी पेशी
मुजफ्फरनगर में 2013 में हुई हिंसा के करीब एक दशक बाद कुतबा में आठ ग्रामीणों की हत्या में कथित तौर पर शामिल 31 लोगों को 20 दिसंबर को सत्र अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। उन पर मुजफ्फरनगर जिले के शाहपुर पुलिस थाने के तहत आने वाले गांव में नफरत फैलाने वाले भाषण देने का आरोप है। कुतबा हत्याकांड के बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 153 ए (दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत 31 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और 2014 में 153 ए को छोड़कर सभी धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया था। इसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
हेट स्पीच मामले में भी अब सुनवाई
इस मामले में जिला सरकारी वकील राजीव शर्मा ने बताया कि वो आरोपी, जो वर्तमान में जमानत पर हैं, उन पर पहले से ही हत्या और अन्य आरोपों के तहत मुकदमा चल रहा था। हालांकि, धारा 153 ए के तहत मुकदमे की कार्यवाही के लिए राज्य से अनुमति की आवश्यकता होती है। प्रक्रियात्मक मामलों के कारण इसमें समय लगा। मुजफ्फरनगर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत ने वारंट जारी किया और 31 आरोपी इस सप्ताह की शुरुआत में उसके समक्ष पेश हुए। सीजेएम कोर्ट ने अब 153ए का मामला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश को सौंप दिया है और इस विशेष धारा को हत्या की धारा के साथ जोड़ दिया है। हेट स्पीच मामले में भी अब सुनवाई शुरू होगी।
यह तथा पूरा मामला
कुतबा गांव में आठ सितंबर 2013 को भीड़ के हमले में एक महिला सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी और कम से कम 20 अन्य घायल हो गए थे। कई घरों को आग लगा दी गई और गांव में सेना तैनात करनी पड़ी। कुतबा में हत्याएं तीन युवाओं की हत्या के बाद हुईं। 7 सितंबर, 2013 को नगला मंडौद में एक पंचायत के दौरान भड़काऊ भाषण भी दिए गए थे। जिले के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा ने यूपी में अब तक के सबसे खराब सांप्रदायिक दंगों में से एक का नेतृत्व किया है। इसमें कम से कम 60 लोग मारे गए और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हो गए।