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नीतू दीदी झुग्गी में फैला रही ज्ञान का उजियारा, आर्थिक सहयोग से बनाई लाइब्रेरी

अजय द्विवेदी, दिल्ली : 

पंखों से कुछ नहीं होता है, हौसलों से उड़ान होती है…, ये लाइनें यूपी के सुल्तानपुर की रहने वाली नीतू सिंह पर सटीक बैठती है। उन्होंने लाख मुश्किलों का सामना कर हिम्म्मत नहीं हारी। कुछ समय पहले जिन बच्चों को शिक्षा के नाम से डर लगता था। अब करीब 250 बच्चे नीतू की झुग्गी में संचालित सबकी पाठशाला में पढ़ रहे हैं। नीतू के बेहतर प्रयास को देख लोगों ने सहयोग किया तो लाइब्रेरी भी बन गई। नीतू के बेहतर प्रयास की हर ओर चर्चा है।

पढ़ाई तो दूर खाने के थे लाले

झुग्गी में अधिकतर परिवार मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। पढ़ाई तो दूर, उनके सामने पेट भरने तक के लाले थे। शिक्षा पर हर किसी का अधिकार है, लेकिन यह उन बच्चों से काफी दूर थी नीतू दीदी के ऊपर भी गरीबी का साया था।
बावजूद, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बुलंद हौसले के साथ आगे बढ़ती चली गईं। यह उसी का नतीजा है कि आज उन्होंने अशिक्षा के अंधेरे को काफी दूर भगा दिया है।

सुल्तानपुर की रहने वाली नीतू दीदी

सबकी पाठशाला में बच्चों को पढ़ाती नीतू दीदी।

यूपी के सुल्तानपुर की मूल निवासी नीतू सिंह बताती हैं कि वे झुग्गी में ही पली-बढ़ी हैं। माता-पिता मजदूरी करते थे और पूरा बचपन गरीबी में गुजरा। कई बार खाने को भी नहीं मिलता था, तो भीख मांगने की नौबत आ गई, लेकिन जब देखा कि भीख मांगने वाले बच्चों को गलत प्रवृति की तरफ ढकेला जाता है, उनसे गलत काम कराया जाता है तो उसी दिन ठान लिया कि अब कुछ अलग करना है। झुग्गी के बच्चों को गलत प्रवृति की तरफ धकेलने वाले लोगों के चंगुल से बचाऊंगी।

एमए के बाद किया बीएड

स्कूल के नन्हें-मुन्नें बच्चों के साथ नीतू दीदी।

कुछ अलग करने का ठान चुकी नीतू ने पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया और दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से एमए और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से बीएड किया। इसके बाद वह झुग्गियों में पढ़ाने पहुंचीं और सबकी पाठशाला के नाम से झुग्गी बच्चों को समर्पित कर दी, लेकिन स्थानीय लोगों ने सबकी पाठशाला को हटाने की चेतावनी दी। यहां तक कहा कि हिंदू-मुस्लिम के बच्चों को साथ में नहीं पढ़ाना है लेकिन नीतू की लगन से उन्हें हारने नहीं दिया।

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आर्थिक सहयोग से बनाई लाइब्रेरी

नन्हें-मुन्नें बच्चों के साथ सेल्फी लेती नीतू दीदी।

नीतू सिंह कहती हैं कि एक बार हिम्मत करके बच्चों के माता-पिता से बात की। किसी के पास आधार कार्ड नहीं था। परेशानी यह भी थी कि बच्चे स्कूल जाना चाहते थे, लेकिन माहौल नहीं मिल पा रहा था। बच्चों को शिक्षक से डर लगता है कि उन्हें कुछ आता नहीं है। फिर उन्हें जागरूक किया धीरे-धीरे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। मौजूदा समय में 250 से ज्यादा बच्चों को सबकी पाठशाला में निशुल्क पढ़ाया जा रहा है।

रोटरी क्लब ने दी एक लाख सहायता

रोटरी क्लब ने सबकी पाठशाला चलाने के लिए एक लाख रुपया पुरस्कार दिया, तो दिल्ली महिला आयोग ने 25 हजार रुपये दिए। सेवानिवृत्त उषा चथरथ का भी सहयोग मिला। आर्थिक सहयोग मिलने के बाद झुग्गी में ही छोटा सा कॉटेज बनाकर उसी में लाइब्रेरी की व्यवस्था की गई है। सबकी पाठशाला के बच्चे तिलक मार्ग स्थित अटल आदर्श विद्यालय, बापा नगर कन्या विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं, जो बच्चे स्कूल नहीं जाते थे उनका भी दाखिला कराने का प्रयास किया जाता है।

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Ajay Dubey

India News Senior Sub Editor. Danik jagran & Amarujala as a City & Crime Reporter 15 Years.

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