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आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों पर कसा शिकंजा Notice sent to Companies Substandard Medicines

• LAST UPDATED : April 13, 2022

अब कंपनियों के लाइसेंस लेने के मानक और प्रक्रिया को भी बदल दिया गया है। ऐसे में कंपनियों को डॉक्टर, फार्मासिस्ट की तैनाती के साथ ही आधारभूत सुविधाओं का भी विस्तार करना होगा।

इंडिया न्यूज, लखनऊ

Notice sent to Companies Substandard Medicines : प्रदेश में आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया गया है। जिन कंपनियों के सैंपल मानकों पर खरे नहीं पाए गए थे, उन्हें नोटिस जारी किया गया है। अब कंपनियों के लाइसेंस लेने के मानक और प्रक्रिया को भी बदल दिया गया है। ऐसे में कंपनियों को डॉक्टर, फार्मासिस्ट की तैनाती के साथ ही आधारभूत सुविधाओं का भी विस्तार करना होगा।

कंपनियों के पास आधारभूत सुविधाएं नहीं (Notice sent to Companies Substandard Medicines)

ज्यादातर आयुर्वेदिक दवा कंपनियों के पास आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं। कोई एक कमरे में कई प्रोडक्ट बना रहा है तो कोई एक प्रोडक्ट का लाइसेंस लेकर मनमाने तरीके से कई दवाएं बना रहा है। इसी का नतीजा रहा कि राज्य स्तरीय लैब में हुई जांच में 72 फीसदी आयुर्वेदिक दवाएं अधोमानक मिली हैं। जिन कंपनियों के सैंपल फेल हुए हैं, उन्हें नोटिस जारी किया गया है।

हर पांचवें साल कराना होगा जीएमपी (Notice sent to Companies Substandard Medicines)

आयुर्वेदिक दवा निर्माण के लिए बनी नई नियमावली के तहत अब सभी कंपनियों को पंजीयन के लिए ऑनलाइन आवेदन करने होगा। यह प्रक्रिया एक अप्रैल से शुरू हो गई है। आयुर्वेद दवा निर्माण इकाई में एक बीएएसएस डॉक्टर और तीन टेक्निकल स्टॉफ रखना अनिवार्य होगा। अब तक एक डॉक्टर और एक अन्य स्टॉफ से काम चल जाता था। इसी तरह कच्चा माल रखने और तैयार दवा के लिए अलग- अलग गोदाम बनाना होगा।

(Notice sent to Companies Substandard Medicines)

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