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Pandit Jwahar Lal Nehru: कहानी नेहरू की आदिवासी पत्नी की , जिसे निर्दोष होते हुए भी मिली सजा

• LAST UPDATED : November 21, 2023

India News(इंडिया न्यूज़) Pandit Jwahar Lal Nehru: हमारा समाज विरोधाभासों से भरा हुआ है। जसमें महिलाओं को लेकर तो विरोधाभास कुछ ज्यादा ही है। एक ओर हम महिलाओं को देवी समझते हैं तो वहीं दूसरी तरफ महिला को अपवित्र मान कर उसका अपमान करते हैं। ऐसे में दो दिन पहले मौत हुई नेहरू की आदिवासी पत्नी की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। जिसे पंडित जवाहरलाल के साथ एक दिन की नजदीकी इतनी भारी पड़ी कि उनका पूरा जीवन ही नरक बन गया। हमेशा से ही भारत में महिलाएं इस तरह के दुख को झेलती रहती है, देश में बहुत कुछ बदलने के बावजूद बड़े हिस्सों के लिए दुनिया वैसा का वैसा ही है।

कहानी नेहरू की आदिवासी पत्नी की जिसे भुगतनी पड़ी सजा

झारखंड राज्य के धनबाद जिले में एक गांव है खोरबोना। जहां 1959 में पंचेत बांध का उद्घाटन करने के लिए पंडित जवार लाल नेहरू आ रहे थे। इस दौरान नेहरू का स्वागत करने के लिए बांध निर्माण कंपनी दामोदर वैली कॉर्पोरेशन के अ‍फसरों ने मंच के पास उस गांव की15 साल की लड़की बुधनी मंझिआन को खड़ा कर दिया। स्वागत के वक्त मधुनी ने नेहरी को माला पहनाया, जिसे नेहरू ने अपने गले से निकालकर बुधनी को पहना दिया। जब उद्घाटन करने का समय आया तो पंडित नेहरू ने बुधनी को ही मंच पर बुला लिया और इससे बटन दबवाकर बांद का उद्घाटन कराया। इसी बीच नेहरू और बुधनी की नजदीकी वाली तस्‍वीर और उससे जुड़ी खबर कोलकाता से फैलने लगी, जिसे देख कर मधुनी के समाज को ये सारी चीज चुभ गई।

मधुनी को उनके समाज वाले दे रहे थे गाली

इस सब के बाद उन दिनों पीएम के साथ मंच पर बैठी बुधनी को उनके गांव वाले गाली दे रहे थे। फिर इसी दौरान रात के समय खोरबोना गांव में संथाली समाज की बैठक बुलाई गई। जिसमें कहा गया कि आदिवासी रिती रिवाज के मुताबिक माला वर को पहनाया जाता है, इसलिए वो नहरू की पत्नी बन गई। नेहरू जाति से संथाली नहीं हैं इसलिए आदिवासी समाज की तरफ से एक ग़ैर-आदिवासी से शादी के आरोप में बुधनी को जाति और गांव से बाहर निकालने का फ़ैसला सुना दिया। जिसके बाद बुधनी ने अपने समाज को यह साफ-साफ बताया कि उसने नेहरू को माला नही पहनाया, नेहरू ने सम्मान में मिली माला उठाकर बुधनी को पहना दी थी। लेकिन इसके बाद भी संथाल समाज से उनको मिली सजा बरकरार रही। जानकारी के मुताबिक बुधनी की मौत अभी दो दिन पहले हुई है, जिसके बाद वो फिर से चर्चा में आ गई हैं। साथ ही संथाल समाज उनकी मूर्ति पंडित नेहरू की मूर्ति के बगल में लगाने की मांग कर रहा है और उनके परिवार के लिए सरकार से पेंशन की भी डिमांड की जा रही है।

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