इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
अमेरिका में जुलाई के बाद से कोरोना वायरस संक्रमण को टीकाकरण ना कराने वाले लोगों की महामारी की संज्ञा दी जा रही है, संक्रमण के फैलाव के लिए वैक्सीन लगवाने में लोगों की आनाकानी को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इस साल की शुरूआत में अमेरिका में टीकाकरण की तेज शुरूआत के बाद वैक्सीनेशन के आंकड़े ठहर से गए हैं। ऐसे में टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी ड्रग रेगुलेटर ने फाइजर-बायोएनटेक की फाइजर वैक्सीन को औपचारिक मंजूरी देने का फैसला किया है। अमेरिकी ड्रग रेगुलेटर का मानना है कि इससे टीकाकरण में तेजी आएगी और वैक्सीन को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को भी दूर किया जा सकेगा। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के एक्टिंग कमिश्नर जेनेट वुडकॉक ने कहा है कि फाइजर और अन्य वैक्सीन ने एफडीए के कड़े मानकों का पालन किया है, जिसके बाद उन्हें इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी। पहली एफडीए मान्यता प्राप्त वैक्सीन के बाजार में आने पर लोगों को विश्वास होगा कि वैक्सीन ने कड़े मानकों का पालन किया है, प्रभावी है और इसके निर्माण में एफडीए के प्रोटोकॉल का पालन किया गया है। वुडकॉक ने कहा कि वैक्सीन को औपचारिक मंजूरी मिलने से टीकाकरण के प्रति लोगों में विश्वास पैदा होगा। उन्होंने कहा कि इससे महामारी को थामने में और मदद मिलेगी। दरअसल फाइजर वैक्सीन के इस्तेमाल को इमरजेंसी मंजूरी इसलिए भी मिली है क्योकि पिछले साल दिसंबर महीने में फाइजर वैक्सीन को यूएस एफडीए ने मंजूरी दी थी। ये मंजूरी पाने वाली फाइजर की वैक्सीन पहली थी। एफडीए ने इसे रैंडम, नियंत्रित और हजारों लोगों पर किए गए क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर मंजूरी दी थी। फाइजर की वैक्सीन इमरजेंसी इस्तेमाल के तहत 16 साल से ऊपर के लोगों को दी जा सकती थी, बाद में यह वैक्सीन 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए भी मंजूर कर ली गई। लेकिन, वैक्सीन के औपचारिक मंजूरी को 16 साल से ऊपर के लोगों के लिए रखा गया है।