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Prayagraj: अब श्रृंगवेरपुर में निषादराज से गले मिलते दर्शन देंगे प्रभु श्रीराम, 10 एकड़ में बन रहा पार्क

• LAST UPDATED : December 23, 2022

Prayagraj

इंडिया न्यूज, प्रयागराज (Uttar Pradesh)। गंगा तट पर श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज से प्रभु श्रीराम के गले मिलने की युगों पुरानी दास्तां को योगी सरकार आने वाली पीढ़ियों के लिए यादगार बनाने की तैयारी की है। इसके लिए श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज से गले मिलते भगवान श्री राम की 51 फीट की कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई। अध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शासन ने इस योजना को मंजूरी दी थी।

इसके तहत यहां लगने वाले रामायण मेले के अलावा लोकोत्सव को भी संरक्षित किया गया। अयोध्या की तरह प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर धाम में भगवान राम की भव्य प्रतिमा लगाने की तैयारी अब पूरी हो गई है। पर्यटन विभाग की इस अहम परियोजना पर 10 एकड़ क्षेत्रफल में निषाद राज पार्क का निर्माण कराया गया है वही यहां पर एक रामायण सर्किट भी बनाई गई है।

अयोध्या की तरह प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर धाम में भगवान राम की भव्य प्रतिमा लगाने की तैयारी अब पूरी हो गई है।

मुख्यालय से 35 किमी की दूरी पर श्रृंग्वेरपुर धाम
संगम नगरी प्रयागराज से लगभग 35 किलोमीटर दूर श्रृंग्वेरपुर धाम है, जो भगवान श्री राम की जन्म की वजह बनी। जी हां….!हम प्रमाणिक तथ्यों के साथ आपको बता रहे हैं। क्योंकि गोस्वामी तुलसीदास ने रामायण में इस संतान तीर्थ के महत्व पर लिखा है- अगर श्रृंगवेरपुर धाम ना होता तो दशरथ के घर राम का जन्म ना होता। अगर राम का जन्म ना होता तो रामायण ना होती और राम व रामायण के बिना इस सृष्टि की कल्पना ही नहीं की जा सकती। भगवान श्रीराम ने मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर इसी श्रृंगवेरपुर धाम से सामाजिक समरसता का संदेश दिया था।

इस धरती से भगवान राम का गहरा नाता
यही वह अपने मित्र निषादराज से मिलने आते थे। यहीं से भगवान राम के वनवासी जीवन की शुरुआत हुई थी। मां सीता ने यहीं पर गंगा मैया की पूजा कर उनका आशीर्वाद लिया था। राम ने वन गमन के दौरान श्रृंगवेरपुर धाम में ही सीता व लक्ष्मण के साथ रात्रि प्रवास किया था। इतना ही नहीं निषादराज का आतिथ्य स्वीकार करते हुए उन्हें गले लगाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया था।

लंका दहन और रावण वध के बाद भगवान श्री राम का पुष्पक विमान सबसे पहले यही उतरा था। केवट ने इसी जगह से राम लक्ष्मण और सीता को अपने नाव से गंगा नदी पार कराई थी। भगवान राम की बहन देवी शांता उर्फ आनंदी मैया की ब्याह यहीं श्रृंगी ऋषि के साथ हुआ था। श्रृंगी ऋषि और देवी शांता का यहां भव्य मंदिर भी है कहा जा सकता है कि श्रृंगवेरपुर धाम से भगवान राम का गहरा नाता है।

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