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Prayagraj News : भर/राजभर को अनुसूचित जनजाति में शामिल, सरकार को एक माह अतिरिक्त समय

• LAST UPDATED : September 19, 2023

India News (इंडिया न्यूज़), Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भर एवं राजभर जाति को एससी/एसटी का दर्जा देने से जुड़े केंद्र सरकार के 11 अक्तूबर 2021 के पत्र के संदर्भ में अपना प्रस्ताव केंद्र को भेजने के लिए एक माह का अतिरिक्त समय दिया है।यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने जागो राजभर जागो समिति की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी को सुनकर दिया है।

राजभर जाति का 17 अधिसूचित जिलों में सर्वेक्षण

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि भर/राजभर जाति का 17 अधिसूचित जिलों में सर्वेक्षण पूरा हो गया है और जल्द ही रिपोर्ट दाखिल कर दी जाएगी।

इस आधार पर उन्होंने न्यायालय के आदेश के अनुपालन के लिए एक माह का अतिरिक्त समय मांगा । इस पर कोर्ट ने सरकार को समय देते हुए अवमानना याचिका को एक माह बाद सुनवाई के लिए पेश करने का निर्देश दिया है।

राज्य सरकार को दो माह में प्रस्ताव भेजने का निर्देश

मामले के तथ्यों के अनुसार केंद्र सरकार ने 11 अक्तूबर 2021 को पत्र लिखकर राज्य सरकार से भर एवं राजभर जातियों को एससी/एसटी का दर्जा देने के संदर्भ में प्रस्ताव मांगा था।

इस पत्र के जवाब में राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार को दो माह में प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया । इस आदेश पर अमल नहीं किया गया।

चार माह की मोहलत देते हुए राज्य सरकार को निर्देश

इसके बाद अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण से हलफनामा मांगा। प्रमुख सचिव की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया, कि राज्य सरकार को जातियों का अध्ययन करने के लिए अतिरिक्त समय चाहिए। ‌कोर्ट ने चार माह की मोहलत देते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया, कि अधिकतम चार माह के भीतर केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया जाए।

कोर्ट ने सरकार को दिया एक माह का समय

उसके बाद सरकारी वकील ने इसके लिए दो माह का समय और मांगा तो कोर्ट ने सरकार को एक माह का समय दे दिया।समिति का कहना है कि भर एवं राजभर जातियां 1952 के पहले तक क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के तहत आती थीं। वर्ष 1952 के बाद उन्हें विमुक्त जाति घोषित कर दिया गया। जबकि क्रिमिनल ट्राइब्स में आने वाली अन्य जातियों को एससी/एसटी में शामिल कर लिया गया।

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