इंडिया न्यूज, प्रतापगढ़: Python’s life in danger in Pratapgarh :प्रतापगढ़ में अक्सर ही लोगों को अजगर नजर आ जाते हैं। इसके बाद सुरक्षा के नजरिए से लोग उसे मार देते हैं। यह सिलसिला लंबे समय से चल रह रहा है। अजगर की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने योजना बनाई है। वन विभाग ने सई नदी के किनारे चिलबिला के जंगल में अजगर संरक्षण का प्रस्ताव तैयार किया है।
चिलबिला का जंगल काफी घना है। बगल से नदी बहने से आसपास नमी बनी रहती है। उसका पानी गड्ढों में भी जाता है। पेड़ों की पत्तियां गिरकर सड़ती हैं तो उसमें अजगर आराम से पड़े रहते हैं। उनके छिपने का स्थान उपयुक्त होता है। गर्मी के दिनों में वह बाहर अधिक निकलते हैं, जाड़े में कम दिखते हैं।
जहां भी अजगर मिलते हैं, उनको पकड़कर वन कर्मी चिलबिला जंगल में ही छोड़ते हैं। वन विभाग का कार्यालय व साई दाता की कुटी में लोगों की हलचल के कारण यहां इनको मारने या तस्करी करने वाले नहीं पहुंच पाते। इस जंगल में अजगर को शिकार के लिए बकरी और खरगोश मिल जाते हैं।
अजगर अक्सर मानधाता, सांगीपुर, गड़वारा, संडवा चंद्रिका, पूरे धना, रानीगंज व कुसफरा जंगल से बस्तियों में चले आते हैं। शरारती तत्व उनको मार देते हैं। कई बार वन विभाग को सूचना देने के बाद भी टीम नहीं आती या देर से आती है तो अजगर को क्षति पहुंच चुकी होती है।
इस तरह की घटनाएं न हों इसके लिए वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का अनुपालन कराते हुए अजगरों का संरक्षण किया जाएगा। अजगर संरक्षण को लेकर 15 साल पहले भी यहां से एक रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। अब फिर से कवायद हो रही है। जगह-जगह मिले व मिल रहे अजगरों को पकड़ने की फोटो, वीडियो समेत समग्र रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी, ताकि उनकी वेरायटी पर भी मंथन हो सके।
यह भी पढ़ेंः नशेडी बेटे ने मां को डंडे से पीकर मार डाला, रक्त रंजित शव छोड़ कर हुआ फरार
यह भी पढ़ेंः कोलकाता STF ने सहारनपुर से संदिग्ध आतंकी को किया गिरफ्तार, अलकायदा से है संबंध