India News(इंडिया न्यूज),Ram Mandir Pran Pratishtha Live: आज राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की विधि का दूसार दिन है। आज यानी 17 जनवरी बुधवार को अपराह्न 1:20 के पश्चात जलयात्रा, वर्धिनीपूजन, तीर्थपूजन, ब्राह्मण-बटुक- कुमारी -सुवासिनी पूजन, कलशयात्रा व श्री राम की मूर्ति का परिसर में भ्रमण कराया जाएगा। इसकी जनकारी खुद वैदिक विद्वान आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ दी हैं।
2:40 PM, 17 JAN 2024
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्रभु रामलला सरकार की तस्वीर साझा की है। तस्वीर में प्रभु रामलला अपने भाईयों के साथ दिखाई दे रहे हैं।
16 जनवरी को हुए ये कार्यक्रम
इससे पूर्व मंगलवार को रामजन्मभूमि स्थान पर बने श्री राम मन्दिर में 22 जनवरी के प्रतिष्ठा महोत्सव के अन्तर्गत् 16 जनवरी को अनिल मिश्रा ने सांगोपांग सर्व प्रायश्चित्त किया तथा सरयू नदी में स्नान भी किया। ये कार्यक्रम भव्यता के साथ हुए। हवन के वक्त आचार्य वैदिकप्रवर लक्ष्मीकान्त दीक्षित वहां मौजूद रहे। मण्डप में वाल्मीकि रामायण व भुशुण्डिरामायण का आरम्भ किया गाय।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह मंगलवार से शुरू
गौरतलब है कि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह मंगलवार से शुरू हो गई है। मंदिर न्यास के एक सदस्य व उनकी पत्नी की अगुवाई में कई अनुष्ठान किए गए। मंगलवार से शुरू हुए अनुष्ठान नए मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के साथ संपन्न होगा। मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा, ‘अनुष्ठान शुरू हो गया है और ये 22 जनवरी तक होगी। 11 पुजारी सभी ‘देवी-देवताओं’ का आह्वान करते हुए अनुष्ठान कर रहे हैं।’ मिश्रा को हर दिन अनुष्ठान में भाग लेना होगा। जिसमें 22 जनवरी का कार्यक्रम भी शामिल है जब पीएम मोदी की मौजूदगी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी।
प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल
इसी बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से अपडेट समय-समय पर शेयर किया जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा किया है। जिसमें प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल है।
प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 16 जनवरी से 22 जनवरी तक चलेगा। रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा पीएम मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत, सीएम योगी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और अन्य विशिष्ट अतिथियों की मौजूदगी में होगी।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र एक्स के माध्यम से प्राण प्रतिष्ठा और संबंधित आयोजनों का पूरा विवरण शेयर किया है जो इस प्रकार हैं-
- आयोजन तिथि और स्थल:भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है।
- शास्त्रीय पद्धति और समारोह-पूर्व परंपराएं: सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ आज यानी 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा।
द्वादश अधिवास निम्नानुसार आयोजित होंगे:-
- 16 जनवरी:प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन
- 17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश
- 18 जनवरी (सायं):तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
- 19 जनवरी (प्रातः):औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
- 19 जनवरी (सायं):धान्याधिवास
- 20 जनवरी (प्रातः):शर्कराधिवास, फलाधिवास
- 20 जनवरी (सायं):पुष्पाधिवास
- 21 जनवरी (प्रातः):मध्याधिवास
- 21 जनवरी (सायं):शय्याधिवास
- अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य:सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे। श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे।
- विशिष्ट अतिथिगण:प्राण प्रतिष्ठा भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, उत्तर प्रदेश के आदरणीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी।
- विविध प्रतिष्ठान:भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे।
- ऐतिहासिक आदिवासी प्रतिभाग:भारत के इतिहास में प्रथम बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों आदि के वासियों द्वारा एक स्थान पर ऐसे किसी समारोह में प्रतिभाग किया जा रहा है। यह अपने आप में अद्वितीय होगा।
- समाहित परंपराएँ:शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएँ इसमें भाग लेंगी।
- दर्शन और उत्सव:गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्ण होने के बाद, सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा। श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है। इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है। समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं। उनमें से सबसे उल्लेखनीय थे माँ जानकी के मायके द्वारा भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए। रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं।
प्राण प्रतिष्ठा के समय मंदिर में रहेंगे ये लोग
22 जनवरी 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होंगे। इस खास मौके पर देश की तमाम बड़ी हस्तियों को अलग-अलग क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाले ख़ास लोगों को भी आमंत्रित किया गया है। इस समारोह में आने वाले समाज के सभी वर्गों को शामिल होने का अमंत्रण दिया गया है। बता दें कि राम मंदिर में जब प्राण प्रतिष्ठा होगी तो गर्भगृह में केवल पांच लोग ही रहेंगे। जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी और राज्यपाल आनंदबेन पटेल भी हैं।
इस दिन मंदिर में प्रवेश करेंगे रामलाल (Ram Mandir)
गोविंद देव गिरी महाराज ने कहा, “ये कार्य 17 जनवरी को शुरू हो जाएगा, 17 को प्रभु श्रीराम अपने मंदिर में प्रवेश करेंगे। 18 तारिख के मुहूर्त पर वो स्वयं गर्भगृह में प्रवेश करेंगे। उनके अनेक प्रकार के संस्कार चलते रहेंगे। इधर यज्ञ मंडप में भी अनेक प्रकार का हवन चलेगा। पूजन चलेगा, अर्चन चलेगा..मंत्रोच्चारण चलेगा, जप चलेंगे.. ये सारा काम जिस प्रकार का होना है वो होता रहेगा। भगवान की दिव्य प्रतिमा के लिए जलादिवास, धन्यादिवास, पुष्पादिवास, फलादिवास ये सब भी होगा। इस प्रकार से वो प्रतिमा सिद्ध की जाएगी। भगवदीय तेज़ को धारण करने के लिए।”
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