इंडिया न्यूज, बागपत:
Rare Coins Of Prithviraj Chauhan Period Found शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक इतिहासकार डा. अमित राय जैन को बागपत के खेकड़ा के निकटवर्ती गांव काठा के प्राचीन टीले के पुरातात्विक स्थल निरीक्षण में दिल्ली अधिपति राजा पृथ्वीराज चौहान सहित, राजा अनंगपाल देव, राजा मदनपाल, राजा चाहडा राजदेव के दुर्लभ 16 सिक्के प्राप्त हुए हैं।
इतिहासकार डा. अमित राय जैन का कहना है कि यह उपलब्धि बागपत एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास के लिए नया आयाम खोलेगी। क्योंकि किसी भी वंश के शासकों के सिक्कों की श्रंखला प्राप्त होना, वहां उस क्षेत्र पर उन राजाओं के अधिपत्य को सिद्ध करता है।
मुद्रा शास्त्र के आधार पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए यह खोज खासी महत्वपूर्ण है। दरअसल, बागपत जनपद में 2005 में शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक डा. अमित राय जैन के प्रस्ताव पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उत्खनन किया। उसके बाद सन 2018 में सिनौली का उत्खनन का कार्य हुआ, वहां से प्राप्त दुर्लभ पुरावशेष तथा तांबे निर्मित लकड़ी के युद्ध रथ भारत में प्रथम बार प्राप्त हुए।
उसके बाद से जनपद बागपत संपूर्ण विश्व के पुरातत्वविद एवं इतिहासकारों के लिए रोमांचक खोज एवं शोध का केंद्र बिंदु बना हुआ है। गौरतलब है कि एएसआई जिले में बरनावा लाक्षागृह टीला, चंदायन आदि स्थलों का भी उत्खनन का कार्य संपन्न कर चुकी है।
पृथ्वीराज चौहान एवं उनके बाद के शासक राजा अनंगपाल तोमर, राजा चाहडा राजदेव, राजा मदन पाल देव के सिक्के प्राप्त होना जनपद बागपत के प्राचीन किले के महत्व को सिद्ध करता है। इस संबंध में इतिहासकार अमित राय जैन का कहना है कि यह प्राचीन टीला हजारों वर्षों से यह मौजूद है।
यहां का स्थल निरीक्षण में कई बार यहां से कुषाण काल एवं बाद की सभ्यताओं के अवशेष मृदभांड इत्यादि प्राप्त होते रहे हैं। उसी श्रंखला में फिलहाल 16 सिक्कों का प्राप्त होना सिद्ध करता है कि यहां कोई बड़ी मानव बस्ती उस समय की रही होगी जहां पर व्यापारिक लेन-देन में सिक्कों का प्रचलन था।
खेकड़ा कस्बे के दिल्ली सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से सटा हुआ प्राचीन काठा गांव का टीला दुर्लभ सिक्कों के प्राप्त होने से चर्चित हो गया है। सिक्कों के खोजकर्ता इतिहासकार डा. अमित राय जैन ने सिक्कों की धातु के बारे में बताया कि यह बिलन धातु के सिक्के हैं, जिसका निर्माण चांदी एवं तांबे को मिश्र करके किया जाता था। चांदी क्योंकि अति दुर्लभ थी तो सिक्कों को बनाने में उस में तांबे की मात्रा भी मिलाई जाती थी ।
यहां से प्राप्त सिक्कों में कुछ सिक्कों को रासायनिक विधि से साफ किया गया है, जिससे उन पर लिखे गए नामों का उल्लेख स्पष्ट रूप से किया जा सका है।
16 दुर्लभ सिक्कों को जनपद बागपत के जिलाधिकारी राजकमल यादव को सौंपा जाएगा ताकि उन पर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मेरठ सर्किल शाखा को भेजा जा सके। इतिहासकार अमित राय जैन की मांग है कि प्राचीन टीला पर भी यथासंभव उत्खनन का कार्य किया जाए ताकि यहां पर छुपे हुए दुर्लभ सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने लाया जा सके। उनका कहना है कि किले के अंदर कोई प्राचीन नगर किला और पृथ्वीराज चौहान इत्यादि राजाओं का खजाना भी दबा हो सकता है।
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