इंडिया न्यूज, वाराणसी:
Ropeway In Varanasi काशी के पुराने इलाकों की सड़कें संकरी होने और ट्रैफिक का दबाव निरंतर बढ़ने से अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। इससे देश-विदेश के पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण भी बढ़ता है।
जनमानस की इन समस्याओं के समाधान को रोपवे आकार लेने जा रहा है। 23 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस माडल प्रोजेक्ट निर्माण को हरी झंडी दिखा सकते हैं। रोपवे के स्टेशनों से करीब 80 हजार यात्री प्रतिदिन यात्रा करेंगे। परियोजना का क्रियान्वयन पीपीपी माडल पर कराया जाना है।
बोलीविया देश के लापाज और मैक्सिको शहर के बाद विश्व में भारत तीसरा देश और वाराणसी पहला शहर होगा जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोपवे का इस्तेमाल किया जाएगा। यह पायलट प्रोजेक्ट है जिसे कैबिनेट की स्वीकृति मिली है। काशी के मूल स्वरूप को कायम रखते हुए इसे विकसित किया जा रहा है।
परियोजना की लागत करीब 410 करोड़ है। इसमें 20 प्रतिशत वीजीएफ (वायबिल्टी गैप फंडिंग) केंद्र सरकार द्वारा तथा 20 प्रतिशत वीजीएफ (वायबिल्टी गैप फंंडिंग) राज्य सरकार तथा अवशेष 60 प्रतिशत कन्सेशनेयर द्वारा वहन किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा अपने वीजीएफ के अंशदान पर अनुमोदन प्रदान किया जा चुका है।
आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा पूर्व में पीपीपी गाइडलाइंस के अंतर्गत 21 अक्टूबर 2021 द्वारा पीपीपी बिड मूल्यांकन कमेटी गठित की गई है। इसकी संस्तुति के आलोक में वाराणसी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में रोपवे केबल कार की पायलट परियोजना का पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ( पीपीपी) माडल पर क्रियान्वयन के लिए तैयारी हुई है।
18 दिसंबर को निविदा खोली जाएगी। सबकुछ ठीक रहा तो किसी एक कंपनी को रोपवे निर्माण की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसमें बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शिलान्यास कराया जाएगा। निविदा प्रक्रिया 18 दिसंबर को पूरी हो गई तो पूरी उम्मीद है कि 23 दिसंबर को बनारस आ रहे पीएम मोदी रोपवे परियोजना निर्माण को हरी झंडी दिखाएं।
रोपवे के लिए बनने वाले सभी स्टेशन पर काशी की कला, धर्म और संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। रोपवे की ट्राली पर भी काशी की माडल दशार्या जाएगा। कैंट रेलवे स्टेशन के पास ही रोडवेज है, इसलिए कैंट स्टेशन पर रोपवे स्टेशन बनने से ट्रेन और बस से यात्रा करने वाले दोनों यात्रियों को सुविधा होगी।
वैपकास कंपनी ने सर्वे पूरा करने के बाद फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की है जिसे स्थानीय प्रशासन ने शासन को भेजा था। पूरा प्रोजेक्ट पीपीपी माडल पर बनेगा और संचालन भी पीपीपी माडल पर ही होगा।
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