इंडिया न्यूज, मेरठ।
Shiva Devotees will Perform Jalabhishek : हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती के विवाह का उत्सव मनाया जाता है। शिव का प्राकट्य दिवस के रूप में भी काफी श्रद्धालु आराधना करते हैं। (Shiva Devotees will Perform Jalabhishek)
वैसे तो शिवरात्रि हर महीने आती है, लेकिन फाल्गुन मास में आने वाली इस महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। शिव भक्त पूरी रात जागते हैं और अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। महाशिवरात्रि पर बाबा औघड़नाथ मंदिर में इस बार करीब 1.5 लाख शिवभक्त जलाभिषेक करेंगे।
आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि ज्योतिषीय गणना के अनुसार एक मार्च (मंगलवार) को महाशिवरात्रि पर मकर राशि में शुक्र, मंगल, बुध, चंद्र, शनि के संयोग के साथ ही केदार योग भी बनेगा। शिव पूजा उपासना के लिए विशेष कल्याणकारी है। ग्रहों के राजा और गुरु बृहस्पति कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे। शिव पूजन का संयोग 28 फरवरी यानी सोमवार को प्रदोष से शुरू होगा जो महाशिवरात्रि पर दिन-रात रहेगा।
महाशिवरात्रि का व्रत रखने से भगवान शिव सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कन्याओं के विवाह में देरी या बाधा दूर होती है। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है। अशुभ ग्रह शांत होते हैं। कालसर्प दोष दूर होता है। चंद्रमा के अशुभ होने से व्यक्ति को मानसिक तनाव होता है और कार्य क्षमता प्रभावित होती है। इससे धन हानि के हालात बनते हैं। महाशिवरात्रि की पूजा से दांपत्य जीवन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं।
(Shiva Devotees will Perform Jalabhishek)