इंडिया न्यूज, वाराणसी (Gyanvapi News)। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय का कहना है कि ज्ञानवापी के वजूखाने में मिला पत्थर शिवलिंग ही है। जिसको लोग मस्जिद बता रहे हैं वह मंदिर है और मंदिर ही रहेगा। सर्वे के दौरान दीवारों पर मिले सबूत इसको सिद्ध करने के लिए काफी हैं। इस मुद्दे को न्यास परिषद की बैठक में भी रखा जाएगा। हमने शासन, प्रशासन और कोर्ट से शिवलिंग की पूजा का अधिकार मांगा है। प्रो. पांडेय ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में सिर्फ ऊपरी हिस्सा मस्जिद के आकार का है और बाकी हिस्सा तो मंदिर का है।
उन्होंने दावे के साथ कहा कि वजूखाने में जो पत्थर मिला है वह शिवलिंग ही है। कभी भी कोई शिवलिंग या ज्योर्तिलिंग एक नहीं होता है, उसके आसपास ढेर सारे शिवलिंग विराजमान होते हैं। शिवलिंग मिल चुका है तो अब उसकी प्राण प्रतिष्ठा जरूरी है। बतौर न्यास परिषद अध्यक्ष मैं मांग करता हूं कि वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा और शास्त्रोक्त विधि से स्थापना का अधिकार दिया जाए। मेरी मांग है कि उक्त शिवलिंग को न्यास परिषद को सौंप दिया जाए। इस पूरे मामले को काशी विश्वनाथ न्यास परिषद की अगली बैठक में भी रखा जाएगा।
काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के मुखिया डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा कि वह ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। शनिवार को बातचीत के दौरान महंत ने कहा कि जब इतनी लंबी प्रतीक्षा के बाद बाबा मिल गए हैं तो उनको ऐसे छोड़ देना शिवभक्तों के लिए बेहद दुखद है। उनकी पूजा-अर्चना नियमित होनी चाहिए। हम लोग 23 मई सोमवार को ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग पर पूजन के लिए याचिका दाखिल करेंगे।
यह भी पढ़ेंः पुलिस की भारी तैनाती के बीच आज पुणे में रैली करेंगे राज ठाकरे