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Sri Krishna Janmabhoomi-Idgah Case: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले पर हिन्दू पक्ष का दावा- मस्जिद ईदगाह में हिंदू मंदिरों के चिह्न

• LAST UPDATED : August 6, 2023

India News (इंडिया न्यूज़),Sri Krishna Janmabhoomi-Idgah Case: यूपी के मथूरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही मस्जिद ईदगाह विवाद से जुड़े ऐतिहासिक अभिलेख व प्रमाण बताते हैं कि शाही मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनी हुई है ये दावा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह का है।

 ढाई रुपये के स्टांप पेपर पर हुआ था समझौता?

ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में पखवारा अधिवक्ता का दावा है कि साल 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच ढाई रुपये के स्टांप पेपर पर समझौता किया गया था। जिसमें लगभग ढाई एकड़ जमीन मस्जिद कमेटी को दी गई थी, वहीं श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ समझौता करने का अधिकारी नहीं था। जिसे जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से सिर्फ देखरेख के लिए बनाया था। इस निपटारा में भी 13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की होने का उल्लेख है।

मस्जिद ईदगाह में हिन्दू मंदिरों के चिह्न संबंधीत प्रमाण- महेंद्र प्रताप

इस संदर्भ में महेंद्र प्रताप सिंह ने वृंदावन के चिंतामणि कुंज में प्रदर्शनी लगाकर शाही मस्जिद ईदगाह में हिंदू मंदिरों के चिह्न होने संबंधीत प्रमाण देने वाली पुस्तकें रखी हुई हैं। इसके साथ साथ नगर निगम के भूमि संबंधी अभिलेख भी प्रदर्शित किए गया हैं। जिसमें उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही मस्जिद हटाने का विवाद काफी पुराना है। साल 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच ढाई रुपये के स्टांप पेपर पर एक समझौता हुआ था।

कोर्ट में समझौते को दी चुनौती

जिसमें 13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की बताई गई। इसमें से तकरीबन ढाई एकड़ शाही मस्जिद कमेटी को समझौते के आधार पर दी गई। उन्होंने कोर्ट में इसी समझौते को चुनौती दी है। किन्तु इससे पहले 15 मार्च 1832 को अताउल्ला खातिब ने कलेक्टर कोर्ट में एक मुकदमा दायर कराया गया था। जिसमें 1815 में पटनीमल के नाम पर कटरा केशव देव की जमीन की नीलाम की हुई थी। जिसको रद्द कर मस्जिद की मरम्मत कराए जाने की मांग भी की गई थी।

प्रशासनिक मामले में नहीं कोई अधिकार

साल 1897, 1920, 1928, 1946, 1955, 1960, 1961 व 1965 में भी अलग-अलग मुकदमा दायर किया गया था। दरअसल, जन्मभूमि से संबंधित मूल संस्था श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट है। ट्रस्ट की ओर से श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ की स्थापना सिर्फ देखरेख के लिए की गई थी। इसे जमीन या अन्य किसी भी प्रशासनिक मामले में कोई अधिकार नहीं दिया गया था। इससे साफ है कि सेवा संघ की ओर से किया गया समझौता फर्जी है।

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