इंडिया न्यूज, देहरादून।
बिजली (Electric) के तारों से निकलने वाली चिंगारी से कहीं जंगल (Forest) में आग न लग जाए, इसलिए शासन ने आठ जिलों के जंगल से गुजरने वाली ट्रांसमिशन लाइनों की जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए पटवारी चौकियों को क्रू-स्टेशनों में बदलने की योजना बनाई है।
इसके साथ ही एसडीआरएफ (SDRF), आपदा क्यूआरटी और अन्य अर्द्धसैनिक बलों का भी वनाग्नि पर नियंत्रण में सहयोग लेने की जरूरत पर बल दिया गया। इस बाबत जारी प्रमुख सचिव आरके सुधांशु के आदेश में जंगलों में आग लगाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा गया है।
सिविल, वन पंचायत एवं कई आरक्षित वनों में वनाग्नि घटनाओं का मुख्य कारण (तेज हवाओं के कारण) वनों से सटी हुई कृषि भूमि में पराली (आड़ा) जलाना बताया गया है। वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन शुष्क मौसम है और पराली (आडा) जलाने पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वनाग्नि बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।