इंडिया न्यूज, वाराणसी।
मुस्लिम पक्ष के विरोध, बहिष्कार और हंगामे के बीच ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी और सर्वे का काम रोकना पड़ा। परिसर पहुंचे अधिवक्ता आयुक्त और सर्वे टीम के अन्य सदस्यों को परिसर स्थित मस्जिद में प्रवेश नहीं करने दिया गया। टीम बीच में ही काम रोककर बाहर आ गई। कार्यवाही 9 मई तक टाली गई है। सर्वे के मद्देनजर ज्ञानवापी परिसर के बाहर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहे। दस थानों की पुलिस लगी थी। विश्वनाथ धाम का गेट नंबर चार बंद रखा गया। बाहर धार्मिक नारेबाजी कर रहे चंदौली निवासी मोहम्मद अब्दुल सलाम को धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
अधिवक्ता आयुक्त को बदलने की मांग को लेकर मुस्लिम पक्ष (अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी) की ओर से अदालत में अर्जी दायर की गई। इस पर सुनवाई करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने वादी पक्ष और अधिवक्ता आयुक्त से आपत्ति मांगी है। अदालत ने कमेटी की अर्जी पर अगली सुनवाई के लिए 9 मई की तिथि तय की। वादी पक्ष के पैरोकार सोहनलाल आर्य के मुताबिक कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ। सर्वे के लिए हमें वहां तक पहुंचने ही नहीं दिया गया। मुस्लिम पक्ष के लोग परिसर के अंदर मस्जिद के दरवाजे पर आकर खड़े हो गए।
दिन में साढ़े तीन बजे के बाद सर्वे टीम ज्ञानवापी परिसर पहुंची। इस दौरान बाहर हंगामा होता रहा। गेट नंबर चार के बाहर सड़क पर बड़ी संख्या में लोग जुटे और नारेबाजी करने लगे। पुलिस ने नारेबाजी करने वालों को हटाया। इसी बीच, नमाज के लिए भी लोग परिसर में पहुंचने लगे। भीड़ को देखते हुए पुलिस ने उन्हें दूसरी मस्जिद में भेजा। सवा छह बजे तक सर्वे टीम के सभी सदस्य बाहर आ गए। वादी पक्ष के अधिवक्ता सोहनलाल आर्य ने कहा कि अधिवक्ता आयुक्त ने शाम करीब साढ़े चार बजे सर्वे शुरू कराया। मस्जिद की चौहद्दी और बाहरी दीवारों की स्थिति देखी।
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