इंडिया न्यूज, प्रयागराज:
Survey Team Found Extinct Saraswati River: देश में बढ़ते भूगर्भ जल संकट को कम करने के लिए काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च- नेशनल ज्योग्राफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआइआर-एनजीआरआइ) हैदराबाद की टीम देश भर में सतह की नीचे मौजूद पानी की जांच कर रही है। जांच टीम ने गंगा और यमुना के बीच दोआब क्षेत्र में पड़ताल शुरू की थी जिसमें उन्हें विलुप्त सरस्वती नदी मिल गई है।
वैज्ञानिकों ने पूरी तरह से इसे सरस्वती नदी नहीं माना है, लेकिन शुरूआती संकेतों से यह सरस्वती नदी ही लग रही है। जिस वजह से वह इसके जांच के क्रम को आगे बढ़ाएंगे। टीम की जांच में सामने आया है कि कभी भूगर्भ जल से परिपूर्ण रहने वाले दोआब के क्षेत्र में अब जल संकट पैदा हो गया है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
इससे पहले सरस्वती की खोज कुछ भू वैज्ञानिकों ने की थी। लेकिन जैसा स्वरूप अब निकलकर आया है, ऐसा पहले कभी नहीं मिला था। इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए एनजीआरआइ के वैज्ञानिकों ने बताया है कि प्रयागराज सदर तहसील क्षेत्र से लेकर कौशांबी की चायल तहसील क्षेत्र से होते हुए मंझनपुर और सिराथू तक सरस्वती की धारा मिली है। यह धारा सूखी है और पानी की जगह वहां पर बालू भरा है। कई स्थलों पर कई मीटर की गहराई में यह बालू है। अब तक मिली 45 किलोमीटर की नदी में से कई जगह से वैज्ञानिकों ने बालू का सैंपल जांच के लिए लिया है।
वैज्ञानिकों ने आगे बताया कि नदी की यह धारा सदियों पहले सतह की नीचे दब गई थी। दबी हुई नदी भूगर्भ जल रिचार्ज में बड़ी भूमिका निभाती थी। इस नदी में पहाड़ से पानी नहीं आ रहा है लेकिन बारिश का पानी इसके जरिए भूगर्भ जल को रिचार्ज करता था। वैज्ञानिकों ने ग्रामीणों से बातचीत के आधार पर बताया कि तीन-चार दशक पहले इस क्षेत्र में भूगर्भ जल का संकट नहीं रहता था। कुआं में दस मीटर में पानी मिल जाता था, लेकिन स्थिति अलब है। कुआं तो सूखे ही, हैंडपंप और नलकूपों को भी रीबोर कराना पड़ रहा है। फिलहाल नदी की जांच जारी है।