इंडिया न्यूज, संतकबीरनगर (Uttar Pradesh News)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि समाज के कमजोर लोगों के प्रति संवेदना रखें। असहायों की सेवा करें। इसके बगैर समाज में समरसता नहीं आ सकती। संतकबीर ने सामाजिक समरसता को बढ़ाने के लिए कमजोरों के प्रति संवेदना और और असहायों की सेवा पर निरंतर जोर दिया। उनका समूचा जीवन सांप्रदायिक एकता का संदेश देता रहा। आज एक ही परिसर में उनकी समाधि व मजार का होना सांप्रदायिक एकता की दुर्लभ मिसाल है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार सुबह मगहर के कबीर चौरा पहुंचे। वहां स्थित संतकबीर की समाधि पर मत्था टेकने, पौधरोपण करने के बाद यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किए। इस अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। उन्होंने संतकबीर अकादमी एवं शोध संस्थान तथा इंटरप्रेटेशन सेंटर का लोकार्पण भी किया। राष्ट्रपति ने कहा कि संतकबीर अंधविश्वास को तोड़ने के लिए काशी से मगहर आए थे कि काशी में मृत्यु से स्वर्ग प्राप्त होता है और मगहर में मृत्यु से नरक।
राष्ट्रपित ने कहा कि संतकबीर ने अपनी वंचनाओं को कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनाया। वह कपड़ा बुनने का काम करते थे। अच्छा कपड़ा बुनने के लिए सूत की कताई, रंगाई से लेकर ताना-बाना तैयार करने तक बहुत सावधानी और सजगता की जरूरत होती है। संतकबीर ने उस समय विभाजित समाज में समरसता लाने के लिए सामाजिक मेलजोल की बारीक कताई की, ज्ञान के रंग से सुंदर रंगाई की, एकता व समन्वय का मजबूत ताना-बाना तैयार किया और समरस समाज के निर्माण की चादर बुनी।
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