India News (इंडिया न्यूज), बस्ती: भारत में जहां एक तरफ वीआईपी कल्चर को सरकार ने बैन किया हुआ है तो वहीं सरकार के ही सरकारी मुलाजिम वीआईपी कल्चर को भूल नहीं पा रहे हैं. वहीं नए नियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला आज बस्ती में उस समय देखने को मिला जब एक नीली बत्ती लगी कार शहर के शास्त्री चौक पहुंची। जहां नामांकन की ड्यूटी कर रहे पुलिस वालों की नजर नीली बत्ती लगे कार पर गई और उन्होंने तुरंत गाड़ी को रुकवाया।
जब पुलिस ने कार की चेकिंग की तो पता चला गाड़ी में तहसीलदार साहब है। जिनका नाम राजीव मोहन सक्सेना है और वह गोंडा जिले में बतौर तहसीलदार न्यायिक पद पर कार्यरत हैं। पुलिस वालों ने जैसे ही साहब की गाड़ी की चेकिंग का अभियान चलाया वैसे ही साहब तमतमा गए और पुलिस वालों पर रोब झाड़ने लगे।
लेकिन पुलिस वालों के आगे उनकी एक हनक नहीं चली। कार्यवाही करते हुए पुलिस ने गाड़ी और साहब को लेकर कोतवाली लेकर आए। जहां पुलिस ने साहब की नीली बत्ती गाड़ी से उतरवाई और गाड़ी का संबंधित धाराओं में 5100 रुपए का चालान करके रसीद साहब को थमा दी। जिसके बाद रौब झाड़ने वाले तहसीलदार साहब बड़े ही बेआबरू होकर अपने घर को लौट गए।
लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में एक बात तो साफ हो गई कि जब वीआईपी कल्चर को सरकार ने हीं खत्म कर दिया तो उसके ही मातहत कैसे वीआईपी कल्चर की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है। बस्ती के जिलाधिकारी शैलेश दूबे ने बताय कि एक नीली बत्ती लगी प्राइवेट कार जो कि कलेक्ट्रेट परिसर में आई थी पुलिस अधिकारियों द्वारा और संबंधित कर्मचारियों द्वारा जांच पड़ताल करके नियमानुसार कार्रवाई करके उन्हें छोड़ दिया गया।
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