इंडिया न्यूज, कानपुर :
IIT Kanpur Scientists Gave Forecast in Research : कोविड-19 की तीसरी लहर के वैरिएंट ओमिक्रोन का असर धीमा पड़ने के बाद अब चौथी लहर को लेकर भी कयास लगने लगे हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के गणित और सांख्यिकीय विभाग के शोधकर्ताओं ने गासियन वितरण प्रणाली के आधार पर आंकलन करके चौथी लहर आने का पूर्वानुमान बताया है। इसके लिए अवर वर्ल्ड इन डाटा नाम की वेबसाइट से कोरोना के अबतक के आंकड़ों का अध्ययन किया है। यह शोधपत्र मेड आर्किव वेबसाइट पर प्रकाशित कराया गया है। चौथी लहर 22 जून 2022 से शुरू होने के आसार हैं। (IIT Kanpur Scientists Gave Forecast in Research)
विशेषज्ञों के मुताबिक वर्तमान में जिंबाब्वे के साथ ही दक्षिण अफ्रीका भी चौथी और उच्च लहरों का सामना करने लगा है। यहां जिंबाब्वे के कोविड 19 मामलों को प्रशिक्षण डाटा सेट के रूप में निर्धारित किया गया है। अब वैज्ञानिक इस बिंदु पर डाटा का आंकलन कर रहे हैं, ताकि यह पता लग सके कि भविष्य में समय के साथ कोरोना वायरल की घातकता कैसे बदल रही है।
भारत में चौथी लहर का पूर्वानुमान लगाने के लिए आइआइटी के वैज्ञानिक प्रो. शलभ और एसोसिएट प्रोफेसर सुभ्रा शंकर धर के निर्देशन में शोधार्थी सबरा प्रसाद राजेश भाई ने पहली लहर से लेकर अब तक कोरोना के विभिन्न वैरिएंट के प्रसार और उनके प्रभाव पर जारी डाटा का अध्ययन किया। साथ ही डाटा की गासियन वितरण मिश्रण प्रणाली के आधार पर गणना की और चौथी लहर के शिखर का समय निकालने के लिए बूट स्ट्रेप प्रणाली का उपयोग किया। इसके मुताबिक कोरोना संक्रमण का पहला मामला विश्व में पहली बार दिसंबर 2019 में सामने आया था। इसके बाद सभी देश वायरस के संक्रमण का शिकार होने लगे। जिंबाब्वे और भारत में तीसरी लहर के आंकड़े लगभग एक समान थे। वर्तमान में जिंबाब्वे में चौथी लहर शुरू हो गई है। इसी वजह से जिंबाव्वे के डाटा को आधार मान विभाग की टीम ने गासियन वितरण मिश्रण प्रणाली का प्रयोग कर भारत में चौथी लहर का आंकलन किया है।
डा. शलभ के मुताबिक सांख्यिकीय गणना के आधार पर सामने आया है कि भारत में कोविड 19 की चौथी लहर प्रारंभिक डाटा मिलने की तिथि से 936 दिन बाद आ सकती है। प्रारंभिक डाटा 30 जनवरी 2020 को सामने आया था, लिहाजा चौथी लहर 22 जून 2022 से शुरू होने के आसार हैं। यही नहीं चौथी लहर 23 अगस्त को अपने चरम पर पहुंच सकती है और 24 अक्टूबर को समाप्त हो सकती है। भारत के साथ ही अन्य देशों के डाटा पर भी इसी पद्धति का उपयोग करके चौथी लहर की भविष्यवाणी की जा सकती है।
यदि घटनाओं की संख्या बहुत बड़ी है, तो भौतिक घटनाओं का वर्णन करने के लिए गासियन वितरण प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। यह एक गणितीय माडल है।
(IIT Kanpur Scientists Gave Forecast in Research)
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