India News UP ( इंडिया न्यूज ), UP News: उत्तर प्रदेश के बांदा की एक अदालत ने पिछले 30 सालों से लंबित मारपीट के एक मामले में अपना फैसला सुनाया है। हालांकि, स्थानीय समुदाय को इस फैसले से झटका लगा है, क्योंकि अदालत ने तीनों आरोपियों पर मात्र 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
1994 में हुई इस घटना में तीन दशकों से अधिक समय तक कानूनी लड़ाई चली, जिसमें सैकड़ों अदालती तारीखें और 15 से अधिक न्यायाधीशों का तबादला हुआ। दिलचस्प बात यह है कि जिन दो आरोपियों पर किशोरावस्था में मामला दर्ज किया गया था, वे अब काफी बूढ़े हो चुके हैं, जबकि तीसरे आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। यह मामला बांदा के कमासिन थाना क्षेत्र का है, जहां पीड़ित रामरूप शर्मा पर उसी गांव के तीन लोगों ने हमला किया था।
शराब पीने की आदत के चलते आरोपियों ने रामरूप को बंधक बनाकर पीटा, जिससे उसके पेट और शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें आईं। आरोपियों ने रामरूप पर हमला किया और पैसे मांगे। घटना के बाद पीड़िता ने थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 504, 506 और 342 के तहत मामला दर्ज किया गया।
पुलिस ने जांच शुरू की और आरोप पत्र दाखिल किया, लेकिन गवाहों के पेश न होने के कारण मामला लंबित रहा। जब गवाहों ने आखिरकार गवाही दी, तो मामले की सुनवाई शुरू हुई।
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इस मामले में अंतिम फैसला 13 जून को सुनाया गया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने दो आरोपियों पर 2-2 हजार रुपये का जुर्माना लगाया, जबकि तीसरे आरोपी की मामले के दौरान मौत हो गई थी।
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