India News UP (इंडिया न्यूज), UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मृतक आश्रित कोटे के तहत दरोगा पद पर नियुक्ति के लिए शारीरिक दक्षता टेस्ट में विफल होने पर दूसरा मौका नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अन्य उपयुक्त पद पर नियुक्ति की मांग कर सकती है। अदालत के अनुसार, आश्रित कोटे में नियुक्ति भर्ती का वैकल्पिक स्रोत नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य परिवार के कमाऊ सदस्य की अचानक मौत से उत्पन्न आर्थिक संकट से निपटना है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस एम सी त्रिपाठी और जस्टिस अनीस कुमार गुप्ता की डिवीजन बेंच में हुई।
मुजफ्फरनगर की गीता रानी, जिनके पति मानसिंह हेड कांस्टेबल थे और सेवा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी, ने आश्रित कोटे में दरोगा पद पर नियुक्ति की मांग की। गीता का शारीरिक दक्षता टेस्ट हुआ जिसमें वह दौड़ में विफल रहीं। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में एक और मौका देने की याचिका दायर की। सिंगल बेंच ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें एक और मौका देने और विफल होने पर उनकी योग्यता के अनुसार किसी अन्य उपयुक्त पद पर नियुक्ति पर विचार करने का आदेश दिया।
राज्य सरकार ने सिंगल बेंच के इस फैसले को अपील में चुनौती दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस एम. सी. त्रिपाठी और जस्टिस अनीस कुमार गुप्ता शामिल थे, ने राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि मृतक आश्रित कोटे के तहत दरोगा पद पर नियुक्ति में शारीरिक दक्षता टेस्ट में विफल होने पर दूसरा मौका नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आश्रित कोटे में नियुक्ति का उद्देश्य परिवार को आर्थिक संकट से उबारना है, न कि यह भर्ती का वैकल्पिक स्रोत है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें मुजफ्फरनगर की गीता रानी को दरोगा पद के लिए शारीरिक दक्षता टेस्ट में विफल होने पर एक और मौका देने की बात कही गई थी। कोर्ट ने कहा कि गीता रानी दौड़ में योग्यता मानक पाने में असफल रहीं और उन्हें दूसरा मौका नहीं दिया जा सकता, क्योंकि ऐसा कोई नियम नहीं है।
कोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश को अनुचित बताते हुए इसे रद्द कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि गीता रानी किसी अन्य उपयुक्त पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकती हैं और इस पर विचार कर एक महीने के भीतर उनकी योग्यता के अनुसार निर्णय लिया जाएगा। इस फैसले के साथ ही, हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की विशेष अपील को निस्तारित कर दिया।
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