India News (इंडिया न्यूज़),Mr. Shishant Shukla,Up News: आपने आमिर खान की फिल्म दंगल जरूर देखी होगी। जिसमें आमिर खान अपनी दो बेटियों को कड़ी मेहनत के बाद कुश्ती पहलवान के तौर पर तैयार करते हैं । ऐसी ही एक कहानी शाहजहांपुर में भी मौजूद है। यहां पंचायती राज विभाग में तैनात सफाई कर्मचारी अपनी दो नाबालिक बेटियों को कड़ी मेहनत करवा कर पावरलिफ्टिंग का बेहतरीन खिलाड़ी बन रहा है।
सफाई कर्मचारी मास्को में आयोजित विश्व कप पावरलिफ्टिंग में गोल्ड मेडल जीत चुका है और उसकी छोटी बेटी भी अब तक 6 गोल्ड मेडल जीत चुकी है। सफाई कर्मचारी की दोनों बेटियों का सपना ओलंपिक खेलों में पहुंचने का है।
गांव से दूर खेतों में नीला ड्रेस पहनी इन दो नाबालिग बहनों का नाम रोली वर्मा और निकिता वर्मा है। वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग दे रहा ये शख्स कोई और नहीं बल्कि इन बेटियों का पिता है। जिनका नाम अजय पाल वर्मा है जो पंचायती राज विभाग में सफाई कर्मचारी है।
बेटियों को चैंपियन बनने के लिए अजय पाल उनसे कड़ी मेहनत और वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस करवा रहे हैं। अजय पाल वर्मा 2019 में रूस की राजधानी मास्को में आयोजित पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।
वो विदेश में आयोजित वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में अब तक दो गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। लेकिन अब उनकी तमन्ना है कि उनकी बेटियां भी एक बेहतरीन वेटलिफ्टर बने। इसके लिए वह अपनी बेटियों से हाड़ तोड़ मेहनत करवाते हैं। इनकी 17 साल को बेटी रोली वर्मा भी अब तक स्टेट और नेशनल वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 6 गोल्ड मेडल जीत चुकी है।
दोनों बेटियां गांव के बाहर बने खेतों में रोजाना 4 घंटे तक पसीना बहाती है और वेट लिफ्टिंग की प्रैक्टिस करती है। इतना ही नहीं अजय पाल वर्मा अपने भाई की बेटियों को भी वेटलिफ्टिंग के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं।
प्रेरित होकर गांव की कुछ और बच्चियों भी यहां प्रेक्टिस करने आती है। बेटी वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 6 गोल्ड मेडल जीत चुकी बेटी रोली वर्मा का कहना है कि जिस तरह से उनके पिता ने कड़ी मेहनत करके विदेशी धरती पर दो गोल्ड मेडल जीते हैं। अब वह भी अपने पिता का नाम रोशन करना चाहती है।
उसका कहना है कि वह जिस तरह से वेटलिफ्टर चैंपियन मीराबाई चानू ने अपने देश का नाम रोशन किया है। इस तरह से वह भी अपने पिता अपने गांव और अपने देश का नाम रोशन करना चाहती है। उसकी तमन्ना है कि वह एक बार ओलंपिक गेम में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल हासिल करे।
वेटलिफ्टिंग की तैयारी कर रही अजय पाल सिंह वर्मा के भाई की बेटी का कहना है कि वह एक गांव के खेत में प्रैक्टिस कर रही है। अगर उन्हें अच्छा सेट और अच्छा वेट मिल जाए तो वह नेशनल और इंटरनेशनल खेलों में देश और प्रदेश का नाम रोशन कर सकती है।
बेटियों के साथ साथ गांव की दूसरी बेटियों को भी बनाएंगे चैंपियन
वेटलिफ्टिंग में प्रैक्टिस के लिए इस्तेमाल होने वाला सामान अजय वर्मा अपने वेतन से मिले पैसों से खरीदते हैं। ड्यूटी से आने के बाद वह अपना ज्यादातर वक्त अपनी बेटियों और दूसरी बच्चियों को प्रैक्टिस कराने में बिताते हैं। विदेशी धरती पर वेट लिफ्टिंग में दो गोल्ड मेडल जीत चुके अजय पाल का कहना है कि उन्होंने विदेश में लड़कियों को वेटलिफ्टिंग खेलते हुए देखा।
जिसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह अपनी बेटियों को भी वेटलिफ्टर बनाएंगे। आज उनकी बेटियां एक झटके में भारी भरकम भजन हवा में उठा लेती है। अब वह अपनी बेटियों के साथ साथ गांव की दूसरी बेटियों को भी चैंपियन बनाने का मन बना चुके हैं।
“कहते हैं कि मंजिले उन्ही को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।” वेटलिफ्टर अजय पाल वर्मा का यही हौसला उनको बेटियों को लगातार आगे बढ़ा रहा है। बेटियों की कड़ी मेहनत का नतीजा यह है कि उनकी बड़ी बेटी अब तक छह गोल्ड मेडल जीत चुकी है। और उनकी तमन्ना है कि वह ओलंपिक गेम में हिस्सा लेकर मीराबाई चानू को तरह अपने प्रदेश और देश का नाम रोशन करें।
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