लखनऊ, इंडिया न्यूज यूपी/यूके. उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी को लेकर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में ठन गई है। आयोग ने नए डीजीपी के प्रस्ताव को लौटाते हुए चयन प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिए हैं। आयोग ने यूपी सरकार से पूछा कि मुकुल गोयल को डीजीपी के पद पर न्यूनतम 2 वर्ष की अवधि पूरा करने से पहले हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन किया गया या नहीं?
आयोग ने कहा- डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो वर्ष होना चाहिए
आयोग ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो वर्ष होना चाहिए। इस दौरान अगर वे रिटायर हो रहे हों तब भी दो वर्ष का कार्यकाल दिया जाएगा।
इससे पहले उन्हें अखिल भारतीय सेवा नियमों के उल्लंघन, आपराधिक मामले में सजा, भ्रष्टाचार का मामला साबित होने या कर्तव्यों के निर्वहन में अक्षम होने पर ही हटाया जा सकता है। अगर इनमें से कोई मामला गोयल के खिलाफ है तो दस्तावेज दिए जाएं। अगर नहीं हैं तो क्या उन्हें हटाया जाना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवमानना नहीं है?
आयोग ने राज्य सरकार से कहा है कि नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए उन सभी अधिकारियों का स्व प्रमाणित बायोडाटा उपलब्ध कराया जाए, जिनकी सेवा अवधि 30 साल पूरी हो चुकी हो और एडीजी रैंक से कम न हों।
सरकार का जवाब- भर्ती घोटाले के आरोपी रहे मुकुल गोयल
इस पर सरकार ने अपना जवाब दिया है। योगी सरकार ने अपने जवाब में कहा कि चयन में सिर्फ सीनियरिटी ही आधार नहीं होती, अधिकारी की कार्यशैली और कार्यक्षमता भी आधार होती है। पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल 2006-7 में भर्ती घोटाले के भी आरोपी रहे थे। मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान एडीजी एलओ थे, उन्हें हटाया गया था। सहारनपुर में सस्पेंड किए गए थे। डीजीपी रहते अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार की शिकायत के कारण हटाया गया था।
11 मई को अकर्मण्यता के आरोप में मुकुल गोयल को हटाया था
बता दें कि राज्य सरकार ने 11 मई 2022 को प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को अकर्मण्यता के आरोप में उनके पद हटा दिया था। उनका ट्रांसफर जनहित में डीजी नागरिक सुरक्षा के पद कर दिया गया था। 13 मई को डीजी इंटेलिजेंस डॉक्टर देवेंद्र सिंह चौहान को प्रदेश का कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था।