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Uttar Pradesh: इस थाने में पुलिसवालों से ज्यादा मुर्गे रहते हैं, एक मान्यता से जुड़ी है दिलचस्प कहानी

• LAST UPDATED : November 21, 2022

Uttar Pradesh

इंडिया न्यूज, बस्ती (Uttar Pradesh) । उत्तर प्रदेश में एक ऐसा थाना है, जहां मुर्गों का राज चलता है। पुलिसवाले भी उनकी सुरक्षा करते हैं, न कोई इन्हें खा सकता है न ही चोरी कर सकता है। हवालात हो या थानेदार का दफ्तर, हर जगह मुर्गे ही मुर्गे नजर आते हैं। है न दिलचस्प कहानी…। चौंकिए नहीं यह थाना बस्ती जिले में है। नाम कप्तानगंज है। इस थाने में 300 से अधिक मुर्गे रहते हैं। पूरे परिसर में इनकी धमाचौकड़ी रहती है। लोग थाने को कप्तानगंज न कहकर मुर्गे वाला थाना कहते हैं। फरियादी भी मुर्गों की सेवा करते हैं।

थाना परिसर में एक कोने में मजार
थाने में इन मुर्गो के पीछे की एक दिलचस्प मान्यता है और उसी मान्यता के आधार पर आज भी इन मुर्गों को लोग थाने में छोड़ के चले जाते हैं। दरअसल, कप्तानगंज थाना परिसर में एक कोने पर मंदिर और दूसरे कोने पर एक मजार है। स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि शहीद बाबा की इस मजार पर मांगी हर मुराद पूरी हो जाती है और मुराद पूरी होने पर यहां पर जिंदा मुर्गा चढ़ाने की परंपरा है।

बताया जाता है कि जब यहां पर थाना नहीं बना था उसके पहले से यहां पर मजार पर मुर्गा चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। जैसे-जैसे कप्तानगंज थाने का निर्माण हुआ मंदिर और मजार थाना परिसर के अंदर आ गया, लेकिन लोगों की मान्यताएं और परंपरा चलती रही। आज भी हर गुरुवार को यहां पर लोगों की भारी भीड़ जुटती है और जिनकी मुरादें शहीद बाबा के आशीर्वाद से पूरी होती हैं, वह लोग यहां पर मुर्गा छोड़ के जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि लोग जब इन मुर्गों को थाना परिसर में मजार के पास छोड़कर जब चले जाते हैं उसके बाद से मुर्गे इसी परिसर में रह जाते हैं और यहां से बाहर कभी नहीं निकलते हैं। पुलिस स्टेशन में छोड़े गए इन मुर्गो को न तो कोई खाता है और नहीं बेचता है। मुर्गे बड़ी आसानी से आपको पुलिस स्टेशन में घूमते नजर आ जाएंगे। कहा जाता है कि कुछ साल पहले यहां तैनात एक पुलिस इंस्पेक्टर ने एक मुर्गे को मारकर खा लिया था, लेकिन उसके बाद इंस्पेक्टर को इतनी परेशानी झेलनी पड़ी कि उनको इस मजार पर आकर अपने गुनाहों की माफी मांगनी पड़ी और पुलिस स्टेशन में उन्होंने मुर्गे खरीदकर छोड़ा।

दरोगा ने खा लिया मुर्गा, भुगतना पड़ा था अंजाम
प्रायश्चित करने के बाद ही दारोगा जी को परेशानी से मुक्ति मिली। आज भी इन मुर्गों के खाने-पीने की पूरी जिम्मेदारी यहां पर तैनात पुलिस वाले उठाते हैं। कप्तानगंज थाने के मेस के इंचार्ज सुबह-शाम इन मुर्गों को दाना डालते हैं और दूसरे हिंसक जानवरों से इनकी रक्षा भी करते हैं। पुलिस की परवरिश की वजह से यह मुर्गे पूरे थाने में हर तरफ बेफिक्र होकर घूमते हैं, लेकिन कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।

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