Uttar Pradesh
इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh) । योगी सरकार ने घूसखोरी के आरोपों से घिरे डीएसपी विद्या किशोर शर्मा को इंस्पेक्टर बना दिया है। वे पीपीएस रैंक के अफसर थे, अब उन्हें डिमोट करते हुए इंस्पेक्टर बना दिया है। रामपुर में डीएसपी रहते हुए शर्मा पर घूसखोरी का आरोप लगा था. रिपोर्ट के अनुसार, डिप्टी एसपी विद्या किशोर शर्मा को 2021 में रामपुर में पोस्टेड किया गया था। जहां उन पर रिश्वत लेने का आरोप लगा था। डीएसपी विद्या किशोर शर्मा इन दिनों पीटीसी जालौन में तैनात हैं। आर्डर कॉपी राज्य सरकार के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने जालौन पीटीसी को भेज दी है।
गृह विभाग की ओर से ट्वीट कर दी गई जानकारी के अनुसार रामपुर सदर के तत्कालीन डीएसपी विद्या किशोर शर्मा को रिश्वत लेने के आरोप में उनके मूल पद पर वापस भेजा गया है। रामपुर के तत्कालीन सीओ सिटी के पद पर तैनात विद्या किशोर शर्मा का रिश्वत लेते एक वीडियो वायरल हुआ था। इस मामले में उनके विरुद्ध शिकायत भी की गई थी। शासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीओ को पद से हटा दिया था और मामले की जांच के आदेश दिए थे। गोपनीय जांच में दोषी पाए गए क्षेत्र अधिकारी विद्या किशोर शर्मा को अब उनके उनके पद से हटाकर दरोगा बना दिया गया है।
एक वर्ष पूर्व तत्कालीन नगर क्षेत्र अधिकारी विद्या किशोर शर्मा का एक अस्पताल संचालक से बैग भरे हुए नोट रिश्वत लेने का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसके लिए सीओ सिटी विद्याकिशोर को निलंबित कर दिया गया था और मामले की जांच बैठाई गई थी। निलंबन करने के बाद जानकारी खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी थी।
मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करते हुए पदौन्नति से सीओ बने विद्याकिशोर को प्रत्यावर्तित कर दिया है। जिसकी जानकारी खोदे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट के माध्यम से दी। इस मामले के शिकायतकर्ता आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खां ने केंद्रीय सतर्कता आयोग में उठाया था साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी शिकायत की थी।
रिश्वत का यह मामला दुष्कर्म की घटना से जुड़ा हुआ है। एक महिला द्वारा पूर्व थाना गंज एस ओ रामवीर सिंह और अस्पताल संचालक विनोद यादव पर दुष्कर्म का आरोप लगा था। जिसको लेकर यह वीडियो वायरल हुआ था। मुख्यमंत्री द्वारा कार्रवाई की गई थी।
रामपुर पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार शुक्ला का कहना है कि सीओ के खिलाफ आरोप पत्र उन्होंने ही दिया था। तत्कालीन सीओ विद्या किशोर 10 माह से पुलिस महानिदेशक कार्यालय से संबंध हैं। उनका कहना है कि वह सीओ बनने से पहले पीएसी में प्लाटून कमांडर थे। यह पद इंस्पेक्टर रैंक का है।
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