इंडिया न्यूज यूपी/यूके, कानपुर: भीषण सड़क हादसे में 26 जिंदगियां खत्म हो गईं। ग्रामीणों के मुताबिक हादसे के बाद मदद न मिलने की वजह से कई लोगों की जान को बचाया नहीं जा सका। इतना ही नहीं हादसे की सूचना ग्रामीणों तक पहुंच गई लेकिन तब तक वहां कोई मदद नहीं पहुंची थी। पुलिस को भी सूचना दे दी गई थी और एंबुलेंस को भी लेकिन घटना के घंटो बीत जाने के बाद भी कोई जिम्मेदार मौके पर नहीं पहुंचा।
घायलों को मोटरसाइकिल से पहुंचाया गया अस्पताल
ग्रामीणों के मुताबिक कोई मदद न पहुंचने पर गांव वालों ने मोटरसाइकिल से घायलों को अस्पताल पहुंचाया। साथ ही इस हादसे के पीछे ड्राइवर की बड़ी लापरवाही सामने आई है। ड्राइवर शराब के नशे में था जिसकी वजह से वह संतुलन खो बैठा और 26 जिंदगियां काल के गाल में समा गईं। वहीं, देर रात से सुबह तक चले पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही शव कोरथा गांव पहुंचे कोहराम मच गया। सभी मृतकों के एक ही गांव का होने की वजह से पूरे गांव से चीत्कार उठती रहीं।
मुंडन कार्यक्रम से वापस लौट रहे थे लोग
बता दें कि भीतरगांव के कोरथा गांव निवासी राजू केवट के बेटे का शनिवार को मुंडन था। मुंडन में शामिल होने के लिए करीब 50 ग्रामीण ट्रैक्टर-ट्रॉली से फतेहपुर गए थे। शाम को लौटते समय गांव से करीब चार किमी पहले साढ़-भीतरगांव मार्ग पर ट्रैक्टर-ट्रॉली अनियंत्रित होकर खंती में पलट गई।
ट्राली के नीचे दबे रहने की वजह से गई लोगों की गई जान
खंती में पानी भरा होने और ट्राली के नीचे दब जाने के कारण लोग निकल नहीं पाए। आसपास के लोगों ने करीब आधा घंटे की मशक्कत के बाद ट्राली को सीधा किया। इसके बाद एक-एक कर सभी को बाहर निकाला गया। हालांकि तब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी थी।
मृतकों का आज होगा अंतिम संस्कार
बता दें कि साढ़ थाना क्षेत्र में शनिवार शाम ट्रैक्टर ट्राली पलटने से हुए हादसे में 26 मृतकों का आज अंतिम संस्कार होगा। गांव में सुबह से ही शवों का आना शुरू हो गया है। आंसुओं के सैलाब के बीच सुबह से अर्थियों को तैयार करने का सिलसिला जारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी पहुंचने की सूचना मिल रही है। संभवतः मृतकों का अंतिम संस्कार ड्योढ़ी घाट में होगा।
हादसा देख तमाम राहगीर भी वहीं पर खड़ हो गए थे। हर किसी को पता था कि ट्रॉली के नीचे पानी के भीतर दर्जनों लोग दबे हैं। वह बिलख रहे थे कि किसी तरह से उनको बाहर निकाल लिया जाए वरना वो मर जाएंगे। लेकिन, उनके वश में नहीं था। वह बेबस होकर खड़ रहे। क्योंकि दो चार दस लोगों के वश में नहीं था कि वह ट्रॉली हटाकर उनको बाहर निकाल पाएं।