Lucknow
इंडिया न्यूज, लखनऊ (Uttar Pradesh): उत्तर प्रदेश में कोविड सहित अन्य महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार है। चीन, जापान, ब्राजील सहित देश के अन्य राज्यों में कोविड के नए वैरिएंट के पाए जाने के बाद यहां की सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर दी गई हैं। ऑक्सीजन से लेकर आईसीयू तक को दुरुस्त किया गया है। ऑक्सीजन सुविधाओं को निरंतर बढ़ाया जा रहा है। इसी के तहत 41 मेडिकल कॉलेजों में अतिरिक्त लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट भी बनाए जा रहे हैं।
विभिन्न देशों में कोविड के नए वैरिएंट मिलने के बाद अस्पतालों में मॉकड्रिल करके व्यवस्थाओं की जांच की गई है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि इस दौरान 12 अस्पतालों में मामूली कमियां पाई गई थीं, जिन्हें सुधारने के आदेश दिए गए हैं। अब इन अस्पतालों ने कमियों को सुधारने के बाद पूरी व्यवस्था दुरुस्त होने की रिपोर्ट महानिदेशालय को भेज दी है। स्वास्थ्य विभाग ने कोविड के दौरान प्रदेश के अस्पतालों में लगभग 1 लाख 60 हजार बेड का इंतजाम किया था। जरूरत पड़ने पर फिर से इन सभी बेडों को क्रियाशील किया जा सकेगा। अभी फिलहाल प्रदेश के सभी जिलों में एक-एक कोविड अस्पताल तैयार किया गया है। कोविड वार्ड भी बना दिया गया है।
लैब को तैयार रहने के निर्देश
प्रदेश के सभी जिलों को बायो सेफ्टी लेवल 2 लैब से जोड़ा गया है। केजीएमयू, पीजीआई, लोहिया संस्थान में उच्च गुणवत्ता वाली लैब हैं। जिलों में तैयार की गई लैब से रीजेंट सहित अन्य संसाधनों के बारे में जानकारी मांगी गई है। जिस लैब में सामग्री की कमी है, वहां महानिदेशालय से समन्वय स्थापित कर सामग्री भेजी जा रही है।
निदेशक संक्रामक रोग डॉ. एके सिंह ने बताया कि सभी लैब से निरंतर बात की जा रही है, सैंपल संख्या बढ़ाई गई है। लैब को इस कदर तैयार किया जा रहा है, कि हर दिन पूरे प्रदेश में कम से कम एक लाख सैंपल की जांच आसानी से हो सके। हालांकि अभी कोविड का असर नहीं है, ऐसे में लगभग 25 से 30 हजार सैंपल की जांच हो रही है।
निरंतर बढ़ रहे हैं ऑक्सीजन प्लांट
केजीएमयू, एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान में एक-एक ऑक्सीजन प्लांट था। यहां मरीजों को बेड तक सिलिंडर के सहारे ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही थी, लेकिन अब ऑक्सीजन प्लांट की संख्या में निरंतर बदलाव किया जा रहा है। चिकित्सा संस्थानों में दो से तीन प्लांट लगाए जा चुके हैं। इसी तरह विभिन्न जिलों में मौजूद मेडिकल कॉलेजों में एक से दो प्लांट तैयार किए गए हैं। जहां अभी तक ऑक्सीजन प्लांट नहीं हैं, वहां भी निर्माण कार्य चल रहे हैं। प्रदेश में पहले करीब तीन हजार वेंटिलेटर थे, अब इनकी संख्या बढ़कर लगभग 12 हजार हो गई है।
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