Uttar Pradesh
इंडिया न्यूज, वाराणसी (Uttar Pradesh) । ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस में शुक्रवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कार्बन डेटिंग से संरक्षित चीजों को खतरा है। हाईकोर्ट ने सर्वे में मिली चीजों को संरक्षित करने का आदेश दिया था। 17 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने भी आकृति मिलने वाली जगह को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए कहा है। ऐसे में वहां खुदाई या अलग से कुछ भी करना उचित नहीं होगा।
बता दें कि हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिली पत्थरनुमा आकृति की कार्बन डेटिंग की मांग कर रहा था। कहना था कि पत्थरनुमा आकृति की शिवलिंग है। वहीं, मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा था।
हिंदू पक्ष ने जिला अदालत के इस फैसले के विरोध में आगे जाने का फैसला लिया है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हम इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। कोर्ट ने ये कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने उस जगह को सील कर रखा है इसलिए हम इसमें कोई भी ऑर्डर पास नहीं कर सकते
हिंदू पक्ष का कहना है कि हमारे मुकदमे में दृश्य या अदृश्य देवता की बात कही गई है। सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने से पानी निकाले जाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखाई दी। ऐसे में अब वह मुकदमे का हिस्सा है। उस आकृति को नुकसान पहुंचाए बगैर उसकी और उसके आसपास के एरिया की वैज्ञानिक पद्धति से जांच ASI की विशेषज्ञ टीम से कराया जाना जरूरी है।
जांच से आकृति की आयु, उसकी लंबाई-चौड़ाई और गहराई का तथ्यात्मक रूप से पता लग सकेगा। बीती 11 अक्टूबर को दोनों पक्ष की बहस खत्म हुई तो कोर्ट ने अपना ऑर्डर सुरक्षित रखते हुए सुनवाई की अगली डेट 14 अक्टूबर तय की थी।
मसाजिद कमेटी ने बहस के दौरान कहा था कि कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की कोई जरूरत नहीं है। कारण है कि हिंदू पक्ष ने अपने केस में ज्ञानवापी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष देवी-देवताओं की पूजा की मांग की है। फिर यह शिवलिंग की जांच की मांग क्यों कर रहे हैं? हिंदू पक्ष ज्ञानवापी में कमीशन द्वारा सबूत इकट्ठा करने की मांग कर रहे हैं। सिविल प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
अगस्त 2021 में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था।
पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो। कोर्ट ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था। उसके बाद ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई हुई थी।
इसके विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना था कि मां श्रृंगार गौरी केस सुनवाई के योग्य ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के क्रम में वाराणसी के जिला जज की कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि मां श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है।
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