Uttarakhand
इंडिया न्यूज, देहरादून (Uttarakhand) । 22 अक्टूबर को धनतेरस से दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाएगी। इसके मद्देनजर उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट लैंडस्केप में हाई अलर्ट घोषित किया गया है। वनकर्मियों की छुट्टी रद्द कर दी गई है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, तराई पश्चिमी वन प्रभाग और राम नगर वन प्रभाग में वन कर्मियों को सघन चेकिंग और गश्त करने के निर्देश दिए गए हैं। आशंका है कि उल्लुओं के शिकार की वारदात हो सकती है।
दरअसल, दिवाली पर उल्लू और जंगली जानवरों के शिकार की आशंका बढ़ जाती है। हल्द्वानी, रामनगर, काशीपुर क्षेत्र अधिक संवेदनशील हैं। सीटीआर निदेशक डॉ. धीरज पांडेय ने बताया कि वनकर्मियों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। रामनगर वन प्रभाग व तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ कुंदन कुमार ने बताया कि वन क्षेत्र की सीमाएं खुली होने की वजह से सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
दिवाली पर धन और वैभव की देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है। उल्लू को देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। लोगों का अंध विश्वास है कि दिवाली पर उल्लू का वध करने से लक्ष्मी घर में स्थिर हो जाती हैं। अंध विश्वास के चलते कुछ लोग दिवाली पर उल्लुओं का वध करते हैं। शिकारियों के माध्यम से पहले ही उल्लू पकड़वा कर रख लेते हैं और दिवाली की रात उनका वध करते हैं। उनका मानना है कि वाहन न रहने पर घर आई लक्ष्मी वापस नहीं जा पातीं।
शहर के ज्योतिषि राम सुमिरन पांडेय कहते हैं कि उल्लू का वध करने से देवी लक्ष्मी के स्थिर हो जाने की बात महज अंध विश्वास है। कोई भी देवी देवता जीव हत्या से कैसे प्रसन्न हो सकते हैं?
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