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वाराणसी ज्ञानवापी केस: वाद सुनने योग्य है या नहीं, कल 12 सितंबर को आएगा फैसला

• LAST UPDATED : September 11, 2022

वाराणसी, इंडिया न्यूज यूपी/यूके: ज्ञानवापी प्रकरण में कल का दिन बहुत अहम माना जा रहा है। केस सुनने योग्य है या नहीं, इस पर सोमवार 12 सितंबर 2022 को महत्वपूर्ण फैसला आने जा रहा है। इससे पहले कमिश्नरेट ने धारा 144 लगा दी है। फोर्स को अलर्ट रहने के साथ फ्लैग मार्च करने के निर्देश दिए हैं।

याचिका में पूजा पाठ का भी जिक्र
ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में राखी समेत पांच महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं इस पर फैसला 12 सितंबर को आना है। अदालत में दाखिल अपने प्रार्थना उन्होंने पुराणों के साथ ही मंदिर के इतिहास से लेकर उसके संचरना तक का जिक्र किया है। मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाए और सुरक्षित रखा जाए।

जानें अब तक क्या-क्या हुआ
वर्ष 1991 में याचिकाकर्ता स्थानीय पुजारियों ने वाराणसी कोर्ट में एक याचिका दायर की। इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने ज्ञानवापी मस्जिद एरिया में पूजा करने की इजाजत मांगी थी। इस याचिका में कहा गया कि 16वीं सदी में औरंगजेब के आदेश पर काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई थी। दरअसल, काशी विश्वानाथ मंदिर का निर्माण मालवा राजघराने की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।

मंदिक के हिस्से को तोड़कर बनाई गई मस्जिद
याचिकाकर्ताओं का दावा था कि औरंगजेब के आदेश पर मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई। उन्होंने दावा किया कि मस्जिद परिसर में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं और उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा की इजाजत दी जाए। हालांकि, 1991 के बाद से यह मुद्दा समय-समय पर उठता रहा, लेकिन कभी भी इसने इतना बड़ा रूप नहीं लिया, जितना इस समय है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी।

मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग
वहीं मामले में इसके बाद वाराणसी के एक वकील विजय शंकर रस्तोगी ने निचली अदालत में एक याचिका दायर की और कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण अवैध तरीके से हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग की। यह याचिका अयोध्या में बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिसंबर 2019 में दायर की गई थी।

मस्जिद का सर्वे की रिपोर्ट को जमा करने का आदेश
अप्रैल 2021 में वाराणसी कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग को मस्जिद का सर्वे करके रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया। हालांकि, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने शंकर रस्तोगी की याचिका का वाराणसी कोर्ट में विरोध किया। बाद में उन्होंने कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में हो रहे सर्वे का भी विरोध किया।

हिंदू पक्ष के वकील ने यह दी थी दलील
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन का कहना है कि नंदी भगवान की प्रतिमा आज भी काशी विश्वनाथ मंदिर के पास है, नंदी का मुंह मस्जिद की ओर है। नंदी का मुंह हमेशा शिवमंदिर की ओर होता है, इससे साफ है कि मंदिर मस्जिद के भीतर ही है। मस्जिद के भीतर ज्ञानकूप और मंडप है। मस्जिद के ऊपर जो गुंबद हैं वो पश्चिमी दीवार पर खड़े हैं और पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का हिस्सा है। मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर ब्रह्म कमल है, पश्चिमी दीवार पर बना गुंबद हिंदू कलाकृति की दीवार है और इसके ऊपर मस्जिद बना है जोकि साफ दिखता है।

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