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Varanasi News: काशी में एक छत के नीचे दिख रही उत्तर भारत की झलक, कश्मीरी पश्मीना और चंबा के चप्पल सबको लुभा रहे

Varanasi News

इंडिया न्यूज, वाराणसी (Uttar Pradesh) । बनारस में बैठे-बैठे आप उत्तर भारत के जीआई उत्पादों की खरीदारी कर सकते हैं। काशी में कश्मीर का पश्मीना, चंबा के चप्पल, गोरखपुर का टेराकोटा, हिमाचल की कांगड़ा चाय जैसे उत्तर भारत के करीब 90 से अधिक जीआई उत्पाद ख़रीदे जा सकते हैं।

16 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक के लिए उत्तर भारत का पहला जीआई महोत्सव वाराणसी के बड़ालालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला शंकुल में शुरू हो चुका है। दीपावली के अवसर पर आप घरों को सजाने के साथ ही अपनों को दीपावली गिफ्ट देने के लिए भी ख़ास जीआई उत्पादों की खरीदारी कर सकते हैं। इस प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा 44 उत्पाद उत्तर प्रदेश के हैं।

एक छत के नीचे पूरे भारत की खास चीजें

लघु भारत कहे जाने वाले काशी में एक छत के नीचे 6 दिनों तक पूरा उत्तर भारत दिखाई देगा। ये वह ख़ास उत्पाद होंगे जिनको आप खरीदना चाहेंगे तो आपको उत्तर भारत के कई राज्यों की यात्रा करनी पड़ेगी। मोदी-योगी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार ने दीपावली के मौके पर उत्तर भारत के जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी का आयोजन किया है।

सहायक आयुक्त उद्योग वी के वर्मा ने बताया कि काशी में इस तरह की लगने वाली पहली प्रदर्शनी में आप राजस्थान की सोजत मेहंदी, पंजाब की फुलकारी, प्राकृतिक फैबे उत्त्पाद, मध्यप्रदेश के बाघ प्रिंट, प्रयागराज के लाल अमरुद, बिहार की मंजूषा कला, नालंदा की बावन बूटी साड़ी, कनौज का इत्र, वाराणसी के लकड़ी के खिलौने, इंदौर के चमड़े के खिलौने, लाहुला हस्त निर्मित मोजे एवं दस्ताने, उत्तरखंड के भोटिया दन, थुलमा आदि ख़ास उत्पाद खरीद सकते हैं। उत्तर भारत के 11 राज्यों के लगभग 90 जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी लगायी गयी है। जिसमे उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा 44 जीआई उत्पाद के स्टाल लगे है। इसमें 34 उत्पादों को जीआई का टैग मिल चुका है और 10 उत्पादों की जीआई टैग की प्रक्रिया चल रही।

पुश्तैनी चीजों से दोबारा जुड़ रहे लोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मेहमानों को अक़्सर जीआई उत्पादों का ही उपहार भेट करते हैं। जब से पीएम और सीएम ने लोगों से अपनों को त्योहारों या ख़ास मौके पर गिफ्ट देने की अपील की है। तब से इन उत्पादों की मांग देश विदेश में बढ़ गई। जिससे ख़त्म हो रही ये धरोहर पुनर्जीवित हो गई है। इस पुस्तैनी कला से मुंह मोड़ चुके लोग दुबारा जुड़ रहे हैं। इसके साथ ही सरकार द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम और टूल किट देने से रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं।

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Bhola Nath Sharma

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