India News (इंडिया न्यूज), Gyanvapi Case : वाराणसी की जिला अदालत ने 30 साल बाद व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार हिंदू पक्ष को दे दिया है। 1993 में समाजवादी पार्टी की सरकार में इस तहखाने को बंद करा दिया था। यहां पर सोमनाथ व्यास का परिवार पूजा-अर्चना किया करता था। ज्ञानवापी विवाद कई सौ वर्ष पूरा मामला है।
जिससे लेकर हिन्दू पक्ष दावा करता है कि इसके नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। जिसे करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने निर्माण करवाया था और यह काशी विश्वनाथ मंदिर ने नाम से जाना जाता था। दावा किया जाता है कि वर्ष 1664 में काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने तोड़वाकर उसकी भूमि पर ज्ञानवापी मस्जिद बना दी थी।
वाराणसी कोर्ट में 1991 में पहला मुकदमा दाखिल हुआ था, जिसमें ज्ञानवापी परिसर में पूजा का अधिकान मांगा गया था। लेकिन केंद्र सरकार ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट बना दिया। इस एक्ट के मुताबिक, 5 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी अन्य धर्म के पूजा स्थल में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
इसी कानून का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया। हालांकि, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी मामले में स्थगन आदेश की वैधता केवल छह महीने के लिए होगी। इसके बाद यह आदेश प्रभावी नहीं होगा। आपको बता दें कि उस वक्त अयोध्या राम मंदिर का मामला कोर्ट में था, इसलिए इसे इस कानून से बाहर रखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर एक बार सुनवाई हुई और 2021 ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण को मंजूरी मिली। 6-7 मई को दोनों पक्षों की उपस्थिति में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी कराने को कहा गया। लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कोर्ट पहुंत गया। हालांकि कोर्ट ने सुनवाई कर 12 मईको याचिका को खारिज कर दिया दी और 17 मई तक सर्वे का काम पूरा कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।
हालांकि, ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे रोक को लेकर मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की। पर कोर्ट ने 14 मई को याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने से इनकार कर दिया था और कहा था कि हम कागजात देखे बिना आदेश जारी नहीं कर सकते। अब मामले की सुनवाई 17 मई को होगी।
14 मई को दोबारा ज्ञानवापी का सर्वेक्षण कार्य शुरू हुआ और कुएं तक सभी बंद कमरों की जांच की गई। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी भी की गई थी। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष का दावा था कि बाबा कुएं में मिले थे। इसके अलावा इसके हिंदू स्थल होने के कई सबूत भी मिले। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे के दौरान कुछ भी नहीं मिला।
हिंदू पक्ष ने इसके वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग की। लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया। 21 जुलाई 2023 को जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी दे दी और ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया। 24 जनवरी 2024, बुधवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने फैसला सुनाया। जिला जज ने सर्वे रिपोर्ट वादी को देने का आदेश दिया । रिपोर्ट 25 जनवरी 2024 को सार्वजनिक की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में एक मंदिर का ढांचा मिला है. इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई। 31 जनवरी 2024 को वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी।
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