इंडिया न्यूज: (Today is the second day of Chaitra Navratri) नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान होता है। मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है, साथ ही यश मिलता है। मां का यह स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में हैं।
मां दुर्गा को समर्पित चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। आज यानी 23 मार्च को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस पावन दिनों में मां के भक्त उनके नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। वहीं आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्माचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। बता दें, मां ब्रह्माचारिणी की कृपा पाने के लिए भक्त व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करते हैं। हिन्दु मान्यता के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी संसार में ऊर्जा का प्रवाह करती हैं। इनकी कृपा से मनुष्य को आंतरिक शांति प्राप्त होती है। इसी के साथ माता का यह स्वरूप बताता है कि जीवन में कठीन से कठीन समय में भी मनुष्य को विचलित नहीं होना चाहिए।
ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य हैं। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता हैं। अपने पूर्व जन्म में जब ये हिमालय के घर में पुत्री रूप में उत्पन्न हुई थीं तब नारद के उपदेश से इन्होने भगवान शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी। हजारों वर्षों की तपस्या के बाद इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। बता दें, अपनी इस तपस्या की अवधि में मां ने कई वर्षों तक निराहार रहकर कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। जिसके बाद से नवरात्र के दूसरे दिन मां देवी के इस रुप की पूजा- अर्चना की जाती है।
माता ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी भी कहा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी आयु और स्मरण शक्ति बढ़ाती है साथ ही रूधिर विकारों का नाश करती हैं। और सुख शांति प्रदान करती हैं। मां के मुखमंडल पर कांतिमय आभा झलकती है, जो ममता का अलौकिक स्वरूप है। इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में हैं। मां के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण की हैं। इसी के साथ मां ब्रह्मचारिणी को विद्या की देवी भी कहा जाता है। खासकर विद्यार्थियों को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए।
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन भी पहले दिन की तरह ही पूजा होती है। सबसे पहले ब्रह्म बेला में उठकर मां को प्रणाम करें। उसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। स्नान के बाद नवीन वस्त्र धारण कर आमचन करें और अपना व्रत संकल्प लें। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें और फूल, धूप-दीप, अक्षत, कुमकुम आदि से मां का श्रृंगार करें। उसके तत्पश्चात दिनभर उपवास रखें। अगर कोई साधक चाहे तो दिन में एक बार जल और एक फल का सेवन भी कर सकते हैं। इसके बाद घी के दीपक और कपूर से माता की आरती उतारें उतारें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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