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Champawat News: लोहाघाट में माँ भगवती की भव्य डोला रथ यात्रा के साथ महोत्सव का समापन

• LAST UPDATED : April 6, 2023

इंडिया न्यूज: (Maa Bhagwati’s grand Dola Rath Yatra) चंपावत के लोहाघाट में पांच दिवसीय सतचूली महोत्सव का देवी रथ यात्रा की परिक्रमा के बाद समापन हो गया है।जिसमें दूर-दूर क्षेत्रों से आए व्यापारियों ने अपनी दुकानें सजाई और क्षेत्र के लोगों ने जमकर खरीदारी करी।

खबर में खास:-

  • पांच दिवसीय सतचूली महोत्सव का देवी रथ यात्रा की परिक्रमा के बाद समापन
  • महिलाओं ने संतान प्राप्त की कामना की
  • मेले से क्षेत्र के लोगों ने जमकर खरीदारी करी

पांच दिवसीय सतचूली महोत्सव का समापन

विकास खंड लोहाघाट के खतेड़ा में चल रहे पांच दिवसीय सतचूली महोत्सव का देवी रथ यात्रा द्वारा मंदिर की परिक्रमा के बाद समापन हो गया है। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त किया। बुधवार की रात को खतेडा गांव के देवी खल में देवी जागरण हुआ। इस दौरान लोक देवताओं ने अवतरित होकर लोगों के कष्टों का निवारण किया।

महिलाओं ने संतान प्राप्त की कामना की

बृहस्पतिवार को सुबह से ही मंदिर में विशेष पूजा अर्चना का दौर शुरू हो गया था। गुरुवार को दोपहर बाद खतेड़ा गांव से मुख्य मंदिर तक मां भगवती की विशाल भव्य डोला यात्रा निकाली गई। डोला रथयात्रा में क्षेत्र के हजारों महिला पुरुष शामिल रहे। तीन किमी. दुर्गम रास्तों को पार करते हुए देवी रथ यात्रा सतचूली मंदिर में पहुंची। देवी रथ के पीछे क्षेत्र की महिलाएं मां के जयकारे लगाते हुए चल रही थी। साथ ही देवीरथ में सवार मां भगवती के डांगर दलीप सिंह और कालिका के डांगर चंद्रकांत चिल्कोटी चंवर झुलाते हुए श्रद्धालुओं को अपना आशीर्वाद दे रहे थे। नि:संतान महिलाओं ने देवीरथ के नीचे से गुजरकर संतान प्राप्त की कामना की। देवीरथ के मंदिर की परिक्रमा के बाद महोत्सव का समापन किया गया।

मेले से क्षेत्र के लोगों ने जमकर खरीदारी करी

महोत्सव स्थल में विशाल मेले का आयोजन किया गया। जिसमें दूर-दूर क्षेत्रों से आए व्यापारियों ने अपनी दुकानें सजाई थी जहां से क्षेत्र के लोगों ने जमकर खरीदारी करी और कथा मेले का आनंद लिया। इस दौरान प्रसाद वितरित किया गया। महोत्सव समिति के अध्यक्ष महेंद्र सिंह बोहरा व संरक्षक डॉ सुधाकर जोशी ने सभी सहयोगियों का आभार जताया। कुल मिलाकर इस प्रकार के महोत्सव पहाड़ की संस्कृति को बचाने में काफी सहायक सिद्ध होते हैं।

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