इंडिया न्यूज: (Bhitoli, the extinct folk festival organized in Uttarakhand) क्षेत्र में जानी मानी सामाजिक संस्था जीवन वर्षा कला संगम समिति द्वारा उत्तराखंड के लोक पर्व भिटोली का आयोजन पाषाण देवी मंदिर नैनीताल में किया गया। जिसमें सैकड़ो ऐंसी महिलाओ को संस्था द्वारा भिटोली भेंट की गयी।
भिटौली का शाब्दिक अर्थ है भेंट अथवा मुलाकात करने से है। विवाहित लड़की के मायके वाले भाई, माता-पिता या अन्य परिजन चैत्र के महीने में महिला क़े ससुराल जाकर विवाहिता से मुलाकात करते हैं। इस अवसर पर वह अपनी लड़की के लिये घर में बने पकवान जैसे आटे, चावल, दूध, घी, चीनी, तेल, खीर, मिठाई, फल व वस्त्र लेकर जाते हैं। शादी के बाद की पहली भिटौली कन्या को वैशाख के महीने में दी जाती है और उसके पश्चात हर वर्ष चैत्र मास में दी जाती है। लड़की चाहे कितने ही सम्पन्न परिवार में ब्याही गई हो उसे अपने मायके से आने वाली “भिटौली” का हर वर्ष बेसब्री से इन्तजार रहता है। ये वार्षिक सौगात में उपहार स्वरूप दी जाने वाली वस्तुओं के साथ ही उसके साथ जुड़ी कई शुभकामनाएं, आशीर्वाद और ढेर सारा प्यार-दुलार विवाहिता तक पहुंच जाता है।
नैनीताल क़े पाषाण देवी मंदिर में जीवन वर्षा कला संगम समिति द्वारा भिटोली का आयोजन किया गया। इस सुअवसर पर विधायक सरिता आर्य ने बतौर मुख्य अतिथि व जीवन वर्षा कला संगम समिति अध्यक्ष वर्षा , और जीवन वर्षा कला संगम समिति सचिव प्रगति जैन द्वारा महिलाओं को भिटोली बाटी गई। कार्यक्रम को सफल बनाने में उमा पढ़ालनी द्वारा महिलाओं को हरी चूड़ी पहनाई गई ।