इंडिया न्यूज: (Garjiya Devi temple is the center of faith of devotees) रामनगर के प्रसिद्ध गर्जिया देवी के मंदिर में पहले नवरात्र में भक्तों की भीड़ उमड़ी है। आसपास के क्षेत्र से ही नही बल्कि दिल्ली,गाजियाबाद, मुरादाबाद,रुद्रपुर,लखनऊ से भी सुबह सुबह ही दर्शनार्थी मां गर्जिया देवी के दर्शन को रामनगर के गर्जिया मंदिर पहुंचे। सुबह से ही श्रद्धालु गर्जिया देवी के दर्शन के लिए लाइनों में लगे दिखाई दिये। जिसे लेकर मंदिर परिसर भी माता के जयकारों से गुंजने लगा।वहीं, मंदिर परिसर में 3 दिनों से लाइट न होने पर मंदिर के मुख्य पुजारी ने दुख जताया है।
ऐसी मान्यता भी है कि नवरात्रों में गर्जिया देवी मंदिर में दर्शन करने से युवक-युवतियों की शादियों में आ रही अड़चनें दूर होती हैं। गर्जिया मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि हजारों साल पहले एक मिट्टी का बड़ा टीला था। टीला कोसी नदी के साथ बहकर आता था। बटुक भैरव देवता उस टीले में विराजमान गिरिजा माता को देखकर उन्हें रोकते हुए कहते हैं देवी ठहरो और यहां मेरे साथ निवास करो। हजारों साल पहले बटुक भैरव द्वारा रोका हुआ यह टीला आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है। जहां गिरिराज हिमालय की पुत्री गिरिजा देवी निवास करती हैं। जिन्हें हम माता पार्वती का एक दूसरा रूप भी कहते हैं, जो गर्जिया देवी की मूल पहचान है।
संपूर्ण उत्तराखंड में गिरिजा माता को गर्जिया देवी के नाम से भी जाना जाता है। जहां इस आस्था और विश्वास के मंदिर में भक्तजनों के कष्टों का निवारण किया जाता है। गिरिजा देवी का यह मंदिर रामनगर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर रामनगर में पड़ता है। मंदिर के मुख्य पंडित मनोज पांडे बताते हैं कि 19वीं सदी में गिरिजा माता का अस्तित्व आज के समय जैसा नहीं था। बल्कि यहां पर वीरान घना जंगल हुआ करता था। साल 1950 में श्री 108 महादेव गिरि बाबा यहां पहुंचे ।वहीं, साल 1960 के समय कोसी नदी ने विकराल रूप ले लिया। नदी प्राचीन मूर्तियों को अपने साथ बहा ले गई।
उसके बाद साल 1967 में पूर्ण चंद को माता ने सपने में दर्शन दिए। जहां माता ने उन्हें बताया कि मूर्तियां कहां पर हैं, जहां से पास के ही इलाके से पूर्ण चंद ने मूर्तियों को खोदकर बाहर निकाला। फिर से मूर्तियों को स्थापित किया गया।साल 1970 के समय गिरिजा मंदिर ने लगभग आज के जैसा रूप ले लिया था। साल 1977 में मंदिर जाने के लिए पुल का भी निर्माण करवाया गया। पुरातत्व विभाग के अनुसार यह मूर्तियां 800 से 900 साल पुरानी हैं। इस टीले की लंबाई 100 फुट है। गिरिजा देवी के टीले के नीचे अन्य मंदिर भी है। जिसमें भगवान शंकर की गुफा भी है। जिसके अंदर एक शिवलिंग भी बना हुआ है। इसके अलावा भैरव देवता के मंदिर के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं के मंदिर भी हैं। ऐसी मान्यता है कि भैरव देवता के दर्शन के बाद ही गिरिजा देवी के दर्शन पूर्ण माने जाते हैं।
वहीं, भक्तों का आज सुबह 4 बजे से ही गर्जिया देवी के दर्शन हेतु पहुंचने का सिलसिला जारी है।गर्जिया मंदिर के मुख्य पुजारी मनोज पांडे ने पहली नवरात्रि पर सभी को बधाई दी। साथ ही उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर में आज पहला नवरात्र है, लेकिन 3 दिनों से यहां पर लाइट नहीं है।उन्होंने इसके लिए दुख जताया। साथ ही उन्होंने कहा एक ओर जी-20 का कार्यक्रम हो रहा है और दूसरी ओर आज पहले नवरात्रि पर मंदिर परिसर में लाइट नहीं है जो अत्यधिक दुखद विषय है।
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