India News (इंडिया न्यूज़), Uttar Pradesh: बस्ती जनपद में एक ऐसा विद्यालय है जहां आपको आधुनिक शिक्षा के साथ साथ 195 प्रजाति की सजीव और दुर्लभ पौधें भी देखने को मिल जाएंगे। जिसको देख आपका मन काफ़ी प्रसन्नमय हो जाएगा। इन पौधों की खासियत यह है की ये पौधें एक तो पूरे परिसर को खुशबू मय किए रहते हैं दूसरा इनका उपयोग आप औषध के रूप में भी कर सकते हैं।
आपको बता दें की जब 2005 में विद्यालय का कमान मौजूदा प्रधानाचार्य डॉ शिव प्रसाद ने संभाला तो यह विद्यालय परिसर पूरी तरह से बंजर निर्जीव पड़ा हुआ था। जिससे स्कूल में काफी गर्मी भी होती थी, उसी समय प्रधानाचार्य, शिक्षक और स्कूल में पढ़ रहे छात्रों के अभिभावकों ने मिलकर एक पहल शुरु की। जिसके तहत् उस विद्यालय में पढ़ने वाले हर एक छात्र के नाम एक एक पौधा लगाया गया। उसी का नतीजा है की आज विद्यालय में 195 प्रजाति के औषधीय, फलदार, छायादार और पुष्प दार पौधें आपको देखने को मिल जाएंगे।
इन पौधों को दो वाटिकाओ में भी बाटा गया है। बाल वाटिका और पोषण वाटिका। बाल वाटिका में पुष्पीय वा सजावटी पौधों में चमेली, चांदनी, डेसिना, छोटी चांदनी, चम्पा, बेला, यूरेका पाम, मनोकामनी, लिली, सुपारी पाम, मिनी गोल्ड मोहर, पेंडुला, पार्सियन सुल्क टी आदि शामिल हैं। तो वहीं बाल वाटिका में दुर्लभ औषधीय पौधे जैसे कल्पवृक्ष के अलावा कपूर, एलोवेरा, पथरचट्य, सेमर, तुलसी, अश्वगंधा, मेंहदी, अपराजिता, बैलाडोना, लेमनग्रास, हल्दी, गूलर आदि शामिल हैं.पोषण वाटिका में काजू, सेब, रुद्राक्ष, नारियल, अनार, लीची, अमरूद, आवला, नींबू, हजारा आदि के पौधें शामिल हैं।
विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ शिव प्रसाद ने बताया कि जब मैंने इस विद्यालय में 2005 ने ज्वॉइन किया तो मैंने एक मुहिम चलाई। अभिभावकों से कहा कि आप पौधे लगाइए और उसका देख भाल करिए आपके बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी हमारी, और उसी का नतीज़ा है की आज यह परिसर पूरी तरह से गुलजार है।
डीएम बस्ती आंद्रा वामसी ने बताया की हमारा प्रयास है की जनपद के सभी 23 सौ विद्यालय को कलाकल्प योजना के तहत आधुनिक किया जाए साथ ही जो विद्यालय इस तरह के प्रयास कर रहे हैं। उनको टीचर्स डे और अन्य अवसरों पर सम्मानित भी किया जाएगा।