INDIA NEWS (इंडिया न्यूज़ ), काशीपुर : यू तो इस माह के हर दिन की अहमियत है, लेकिन जुमा को और दिनों का सरदार कहा जाता है। इसलिए इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। रमजान के आखिरी जुमा की नमाज से रमजान के रुख़सत होने का संदेश मिलता है।
खबर में खास:-
- काशीपुर में अदा की गई अलविदा जुमे की नमाज़
- अल्लाह पाक देने वालों और इबादत करने वालों के अजर बढ़ा देते
- मुस्लिम के किरदार में ही उनका अमन और खैर छिपा
अल्लाह पाक देने वालों और इबादत करने वालों के अजर बढ़ा देते
माहे रमजान के आखिरी जुमे को अलविदा जुमा की नमाज अकीदत से अता की गई। इस दौरान सुरक्षात्मक दृष्टि से पुलिस पूरी तरह चौकस रही। दोपहर साढ़े बारह बजे अजान होते ही मुस्लिम समाज के व्यक्ति नमाज के लिए मस्जिदों में पहुंचने लगे। दोपहर एक बजे के बाद से अलविदा जुमा की नमाज नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में अकीदत से अदा की गई।
शहर इमाम मुफ्ती मुनाजिर हुसैन ने कहा कि रमजान उल मुबारक का आखरी असरा चल रहा है। इसमें रमजान मुबारक का यह आखिरी जुमा है, जिसे जुम्मतुलविदा के रूप में लोग अदा करते हैं। रमजान उल मुबारक में अब अगला जुमा अगले साल ही आएगा। इस माह में सदका, फितरा और जकात की जाती है जिसमें अल्लाह पाक देने वालों और इबादत करने वालों के अजर बढ़ा देते हैं।
मुस्लिम के किरदार में ही उनका अमन और खैर छिपा
उन्होंने बताया की जिस प्रकार एक हज कर लौटने वाले अपने जिंदगी को बदल कर ज्यादा से ज्यादा इबादत करने में लग जाते हैं तो उससे अंदाजा लगता है कि उनका हज मुकम्मल हुआ। इसी प्रकार एक माह रोजा, तरावीह, इबादत के बाद हम सभी गैर रमजान में इसी प्रकार इबादत और अल्लाह के बारगाह में पहुंचें तो सचमुच का रमजान मुबारक की बरकत हम सभी को नसीब होगी। साथ ही ईद की नमाज से पहले पहले हैसियत रखने वाले को फितरा निकालना जरूरी है। ईद की खुशीके साथ हम दूसरों का भी ख्याल करें, क्योंकि मुस्लिम के किरदार में ही उनका अमन और खैर छिपा है।