Monday, July 1, 2024
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Electricity Crisis: प्रदेश में मंडरा रहा बिजली संकट, क्षमता से कहीं कम उत्पादन

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India News(इंडिया न्यूज़), देहरादून: उत्तराखंड में बिजली का संकट दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। जलविद्युत उत्पादन की जितनी क्षमता का आकलन हुआ है, उसका एक चौथाई से भी कम उपयोग हो पा रहा है। 18030 मेगावाट क्षमता में से अभी तक 3975 मेगावाट की परियोजनाएं ही संचालित हो रही  हैं।

2028 तक 1571 मेगावट की परियोजनाएं

अगर सब ठीक रहा तो साल 2028 तक 1571 मेगावाट की परियोजनाएं बिजली उत्पादन प्रांरभ कर देगी। 2200 मेगावाट की 20 जलविद्युत परियोजनाओं को केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय की हरी झंडी का इंतजार है। उत्तराखंड की सदानीरा नदियों गंगा-यमुना और उनकी सहायक नदियों पर जलविद्युत उत्पादन की जिन संभावनाओं को खंगाला गया था, उन पर पर्यावरणीय बंदिशें लग चुकी हैं। इनमें 2457 मेगावाट की बड़ी जलविद्युत परियोजनाएं सम्मिलित हैं।

आनें वाले दिनों मे चुनौती बढ़ने की अशंका

निगम बाजार से बिजली खरीद कर आपूर्ति के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन आने वाले दिनों में चुनौती और बढ़ने की आशंका है। उत्तराखंड में इस साल पहली बार हर दिन बिजली की मांग 43 मिलियन यूनिट के पार पहुंच गई है। जिसका कारण चढ़ता पारा है। भीषण गर्मी के चलते पंखे, कूलर व एसी का प्रयोग बढ़ने से बिजली खपत में इजाफा हुआ है।

छोटे शहरों व ग्रामीण में अधिक बिजली कटौती

वहीं जल विद्युत परियोजनाओं से अभी पर्याप्त उत्पादन नहीं होने के कारण अन्य स्रोत पर निर्भरता अधिक है। केंद्र से अतिरिक्त बिजली मिलने के बावजूद मांग के सापेक्ष उपलब्धता नहीं है। ऐसे में ग्रामीण और छोटे शहरों में कटौती की जा रही है। एक सप्ताह पूर्व जहां विद्युत मांग 38 मिलियन यूनिट के आसपास थी, वह अब 43 मिलियन यूनिट के पार पहुंच गई है। जिससे बिजली संकट की स्थिति पैदा हो सकती है।

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Ritesh Mishra
Ritesh Mishra
रितेश मिश्रा ने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत ITV(India News)से की है। ये इंडिया न्यूज़ के साथ पिछले 11 महीने से जुड़े हुए हैं।
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