(After all, why is ‘Holi’ played after one day in Jhansi, know its spiritual and historical reason): होली का त्योहार पूरे देशभर में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। जहां इस साल भी 8 मार्च को होली (Holi ) मनाने की तैयारी कर ली गई हैं। लेकिन बता दें की, उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक धरती झांसी में एक दिन बाद होली मानाई जाती है। यहे एक ऐसा शहर है, जहां होली के दिन रंग और गुलाल से खेलने की परंपरा नहीं है। यहां के रहनेवाले लोग होली के 2 दिन एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। वही होली के दिन तो वह लोग रंग या गुलाल छूते भी नहीं है। बता दें की इसके पीछे अध्यात्मिक और ऐतिहासिक दोनों ही कारण हैं।
यहां के स्थानीय निवासी और जानकार मानते हैं कि अध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर जिस दिन ही हिरण्यकश्यप को मारा था, वह होली का दिन था। जिस वजह से उस दिन बहुत भारी हिंसा हुई थी। इस वजह से झांसी में उस दिन होली नहीं खेली गई और इसी के बाद से झांसी में होली को एक दिन बाद मनाया जाता है। जिसके बाद से होली के अगले दिन रंग और गुलाल से होली खेलने की परंपरा शुरू हो गई थी।
इसके साथ ही एक ऐतिहासिक कारण और भी है। झांसी के राजा गंगाधर राव का देहांत 21 नवंबर 1853 को हुआ था। जहां झांसी का हर निवासी राजा गंगाधर राव को अपने परिवार का एक सदस्य मानते थे और इसलिए हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब परिवार में किसी का देहांत होता है तो उसके बाद अगले 1 साल तक परिवार में कोई त्योहार नहीं मनाया जाता है। इसी वजह से होली के दिन रंग नहीं खेला जाता है और इसके बाद से ही झांसी में होली के 1 दिन बाद ही रंग खेलने की परंपरा शुरू हो गई थी।
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