इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर वर्ष परशुराम जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अपना 6वां अवतार लिया था। इसी वजह से इस दिन अक्षय तृतीया के साथ परशुराम जयंती भी सेलिब्रेट की जाती है। परशुराम का जन्म भले ही ब्राह्मण कुल में हुआ हो लेकिन उनके गुण क्षत्रियों की तरह थे। ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पांच पुत्रों में से चौथे पुत्र परशुराम थे। परशुराम भोलेनाथ के भक्त थे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म धरती पर हो रहे अन्याय, अधर्म और पाप कर्मों का विनाश करने के लिए हुआ था। उन्हें सात चिरंजीवी पुरुषों में से एक माना जाता है। परशुराम का जन्म के वक्त राम नाम रखा गया था। वे भगवान शिव की कठोर साधना करते थे। जिसके बाद भगवान भोले ने प्रसन्न होकर उन्हें कई अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए थे। परशु भी उनमें से एक था जो मुख्य हथियार था। परशु धारण करने के कारण नाम परशुराम पड़ा।
मान्यता अनुसार एक बार परशुराम जी की माता रेणुका से कोई अपराध हो गया था। इस पर ऋषि जमदग्नि क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने सभी पुत्रों को मां का वध करने का आदेश दे दिया। इस पर परशुराम के सभी भाईयों ने वध करने से मना कर दिया लेकिन परशुराम जी ने पिता आज्ञा का पालन करते हुए माता रेणुका का वध कर दिया। इससे प्रसन्न होकर ऋषि जमदग्नि ने परशुराम जी को तीन वर मांगने को कहा था।
यह भी पढ़ेंः अक्षय तृतीया पर धन प्राप्ति के लिए करें उपाय, सुख-समृद्धि से भरा रहेगा घर-परिवार