उत्तरप्रदेश के मथुरा में होली का त्योहार शुरू हो गया है। 27 फरवरी 2023 यानी आज मथुरा के बरसाना में लड्डू मार होली खेली गई। बरसाना में देश-विदेश से लोग होली की रौनक देखने आते हैं। हाल ही में ब्रज में फुलेरा दूज मनाया गया था। फुलेरा दूज के साथ ही होली की शुरूआत हो गई थी। देश के अंदर कहीं लठ्ठमार होली होती है तो कही छड़ीमार होली होती है। वहीं कही फूलों से होली खेली जाती है। आज आपको बतायेंगे राधा रानी की बज्र की होली के खासियत और शुरूआत।
जानकारी दें कि पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर युग में राधा रानी के पिता वृषभानु जी नंदगांव में श्रीकृष्ण के पिता को होली खेलने के लिए आमंत्रित किए थे। बरसाने में रहने वाली गोपियां होली का न्योता देने नंदगांव जाती है। इस आमंत्रण को कृष्ण के पिता नंदबाबा सहहर्ष स्वीकार करते हैं। वहां जाने पर उन्हें खुब आदर सत्कार किया जाता है।
आपको बता दें कि बरसाना के श्रीजी मंदिर में आज लड्डूओं की होली खेली जा रही है। श्रीजी मंदिर में लोग काफी संख्या में गुलाल की बजाय लड्डू फेंककर होली मनाते हैं। पुरानी कथा अनुसार नंदगांव से होली खेलने के लिए बरसाना आने का आमंत्रण स्वीकार ने की परंपरा इस होली से हुई है। इस परंपरा का पालन आज भी हो रहा है। होली खेलने से रिश्तों में प्रेम और मिठास आती है। लड्डू होली के ठीक अगले दिन लठ्ठमार होली होती है।
लड्डू एक मिठाई है जिससे मुंह मिठा किया जाता है। होली में भी मिठाई का खाश महत्व है। लड्डुओं से पुरोहित का भी मुंह मिठाया कराया जाता है। मेहमान का आदर सत्कार किया जाता है। दरअसल पुरोहित जी के पास गुलाल नहीं था तो वो गोपियों पर लड्डू बरसाने लगते हैं। बस तभी से इस परंपरा का पालन किया जा रहा है। इस युग में भी वर्तमान समय में लड्डू होली खेली जाती है।
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